क्यों रखते हैं ब्राह्मण सिर पर चोटी?, जाने धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

NEHA MISHRA

हिंदू धर्म में पवित्रता बनाए रखने के लिए कई नियम बताए गए हैं. शास्त्रों में उल्लेखित नियमों की बात करें तो इनका संबंध विज्ञान से भी है. सनातन धर्म में ऐसा ही एक नियम चोटी रखने का भी है. हिंदू धर्म में जन्म से मरण तक कुल 16 संस्कारों का वरण है. इन्हीं में से एक संस्कार है मुंडन संस्कार. जिसमें सिर के बीच में एक चोटी छोड़ कर बाकी सारे बाल हटा दिए जाते है. लेकिन ऐसा क्यूं होता है? 

ब्राह्मण की चोटी : 10 कारण- जानिए ब्राह्मण क्यों रखते हैं अपने सिर पर चोटी !

मुंडन संस्कार को हिंदू धर्म में एक शुभ कर्म माना गया है. मुंडन संस्कार में बच्चों का पहले, तीसरे और पांचवे साल में मुंडन करा दिया जाता है. सिर पर चोटी रखने का संस्कार यज्ञोपवीत या उपनयन संस्कार में भी किया जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पूजा, कर्मकांड और यज्ञ आदि कार्य कराने के लिए चोटी रखना आवश्यक है. हिंदू जीवनशैली में, ब्राह्मण जब छोटे बालकों को दीक्षा देते हैं या संस्कारित करते हैं, तो वे सिर के बाकी बाल उतरवा देते हैं और एक चुटिया छोड़ देते हैं. हर बार साधना से पहले ब्राह्मण अपनी चोटी को पकड़कर उसे घुमाते, मोड़ते और खींचते है.

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क्या आप जानते है कि ब्राह्मण के चोटी रखने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी मौजूद हैं. जिस स्थान पर चोटी रखी जाती है उस स्थान पर मस्तिष्क का केंद्र होता है. इसी स्थान से शरीर के अंग, बुद्धि और मन नियंत्रित होते हैं.चोटी रखने से सहस्त्रार चक्र जागृत रहता है. चोटी रखने से सहस्रार चक्र को जागृत करने और बुद्धि, मन और शरीर पर नियंत्रण रखने में सहायता मिलती है.

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