पुरी शंकराचार्यजी का राष्ट्रोत्कर्ष अभियान दक्षिण भारत में हुआ प्रारंभ

रायपुर : ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज राष्ट्रोत्कर्ष अभियान यात्रा अंतर्गत वर्तमान में दक्षिण भारत के प्रवास पर हैं।इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये पुरी शंकराचार्यजी द्वारा संस्थापित संगठन के प्रो० बी०डी०दीवान ने बताया कि महाराजश्री का आज 15 दिसम्बर से 15 फरवरी 2023 तक प्रवास विवरण इस प्रकार आयोजित होगा।

पुरी शंकराचार्ययजी 15 दिसंबर से 16 दिसंबर 2022 कोझीकोड  (केरल) , 17 दिसंबर एवं 18 दिसंबर कन्नूर (केरल) , 19 दिसंबर से 20 दिसंबर तिरुअनंतपुरम (केरल) ,21 दिसंबर एवं 22 दिसंबर मंगलुरू (कर्नाटक) , 23 दिसंबर एवं 24 दिसंबर बेंगलुरु (कर्नाटक) , 25 दिसंबर एवं 26 दिसंबर मैसूर (कर्नाटक) ,  27 दिसंबर एवं 28 दिसंबर हुबली (कर्नाटक) , 29 दिसंबर एवं 30 दिसंबर हैदराबाद (तेलंगाना) ,  31 दिसंबर से 10 जनवरी 2023 श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी  (उड़ीसा) 11 जनवरी 2023 से 15 जनवरी गंगासागर कोलकाता (पश्चिम बंगाल) , 16 जनवररी से 26 जनवरी तीर्थराज प्रयाग (उत्तरप्रदेश) , 27 एवं 28 जनवरी भीनमाल जिला जालौर (राजस्थान) , 29 जनवरी एवं 30 जनवरी जालौर (राजस्थान) , 31 जनवरी एवं 01 फरवरी केंद्रपाड़ा (उड़ीसा) , 01 फरवरी एवं 02 फरवरी रघुनाथपुर केंद्रपाड़ा (उड़ीसा)  , 03 फरवरी एवं 04 फ़रवरी मुनीगुडा (उड़ीसा) ,  05 फरवरी नवरंगपुर जयपुर (उड़ीसा) ,  06 से 08 फरवरी जगदलपुर (छत्तीसगढ़) ,  09 एवं 10 फरवरी रणधीरपुर कवर्धा (छत्तीसगढ़) , 11 फरवरी से 15 फरवरी 2023 रायपुर  (छत्तीसगढ़) I

गौरतलब है कि पिछले वर्ष चातुर्मास्य के समय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी उड़ीसा में पुरी शंकराचार्यजी ने  उद्घोषणा की थी  कि अगले साढ़े तीन वर्षों में दिव्य भारत का निर्माण होगा और भारत हिन्दू राष्ट्र के रूप में उद्भाषित होगा। उपरोक्त घोषणा के लगभग 15 मास बीत चुके हैं तथा शंकराचार्यजी अनवरत हिन्दू राष्ट्र निर्माण हेतु भारत के सभी क्षेत्रों के प्रवास पर रहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी उपरोक्त भावना के प्रसार एवं सहभागिता हेतु हिन्दू राष्ट्र सम्मेलन के चार चरण आयोजित हुये हैं। हिन्दू राष्ट्र के प्रणेता पुरी शंकराचार्यजी का मानना है कि वर्तमान विश्व में व्याप्त सभी समस्याओं का निराकरण सनातन वैदिक शास्त्रों में सन्निहित है।

आवश्यकता सिर्फ इस बात की है कि स्वस्थ मन से मान्य आचार्य के मार्गदर्शन में उन सिद्धान्तों का शास्त्र सम्मत विधा से क्रियान्वयन किया जाये,तभी विश्व मानवता की रक्षा सम्भव हो सकेगी। इसके लिये आवश्यक है कि पहले भारत में सनातन वैदिक आर्य सिद्धान्त के अनुरूप शासन व्यवस्था हो जिसका कि अन्य राष्ट्र अनुसरण कर सकें। पुरी शंकराचार्य द्वारा संस्थापित संगठन पीठ परिषद,आदित्यवाहिनी - आनन्दवाहिनी ने सभी सनातन धर्मावलंबियों से संगठित होकर भव्य भारत के निर्माण में सहभागी बनने और अपने प्रियजनों,परिजनों,संबंधियों,इष्टमित्रों को भी इस अभियान में जुड़ने हेतु प्रेरित करने की अपील की है।

 रिपोर्टर भुपेन्द्र यादव

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