कब है रवि प्रदोष व्रत , आयु वृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखना चाहिए ये खास व्रत

माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी ति​थि को रवि प्रदोष व्रत है. यह व्रत 30 जनवरी दिन रविवार को है.रविवार को पड़ने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. बताया जाता है कि प्रदोष व्रत का महत् दिन के हिसाब से अलग-अलग होता है. भगवान शंकर को समर्पित इस व्रत पर महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं. कहा जाता है कि रवि प्रदोष व्रत करने से स्वास्थ् बेहतर रहता है. आइए जानते हैं रवि प्रदोष व्रत की प्राचीन कथा के बारे में-

एक गांव में गरीब ब्राह्मण दंपति रहता था. उन्हें एक बेटा था. एक समय बेटा गंगा में स्नान करने गया, जहां उसे चोरों ने घेर लिया. चोर कहने लगे कि तुम अपने पिता के गुप्त धन के बारे में बता दो तो हम तुम्हें नहीं मारेंगे. इस पर ब्राह्मण के बेटे ने कहा, हम अति दुखी हैं और हमारे पास कोई गुप् धन नहीं है. इस पर चोरों ने पूछा- यह तुम्हारी पोटली में क्या बंधा है तो बालक ने बताया कि मां ने मेरे लिए रोटियां दी हैं. इसके बाद चोरों ने उसे छोड़ दिया.

उसके बाद बालक वहां से चलते हुए नगर में पहुंचा, जहां एक बरगद का पेड़ की छाया में वह सो गया. तभी नगर के सिपाही चोरों को खोजते हुए वहां धमके और बालक को चोर समझकर बंदी बनाकर राजा के पास ले गए. फिर राजा ने उसे काल कोठरी में डलवा दिया.

उधर, घर पर बेटा नहीं लौटा तो ब्राह्मणी को चिंता हुई. अगले दिन ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत किया और भगवान शंकर से पुत्र की कुशलता की प्रार्थना करने लगी. ब्राह्मणी के व्रत से भगवान शंकर बहुत प्रसन्न  हुए. उसी रात को भगवान शंकर उस राजा के सपने में आए और राजा को बताया कि वह बालक चोर नहीं है. उसे छोड़ दें नहीं तो राज्य का वैभव नष्ट हो जाएगा.

सुबह राजा ने उस बालक को छोड़ दिया तो बालक ने राजा को पूरी कहानी सुनाई. इस पर राजा ने सिपाहियों को भेजकर बालक के माता-पिता को राजदरबार में बुलाया. राजा ने ब्राह्मण दंपति से कहा, आप भयभीत हों. आपका बालक निर्दोष है. राजा ने ब्राह्मण को 5 गांव दान में दिए, जिससे वह सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर सके. इस तरह भगवान शिव की कृपा से ब्राह्मण परिवार सुखमय जीवन व्यतीत करने लग.

प्रदोष व्रत की महत्वता सप्ताह के दिनों के अनुसार अलग-अलग होती है. रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत और पूजा से आयु वृद्धि तथा अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है. रविवार को शिव-शक्ति पूजा करने से दाम्पत्य सुख भी बढ़ता है. इस दिन प्रदोष व्रत और पूजा करने से परेशानियां दूर होने लगती हैं. रवि प्रदोष का संयोग कई तरह के दोषों को दूर करता है. इस संयोग के प्रभाव से तरक्की मिलती है. इस व्रत को करने से परिवार हमेशा आरोग्य रहता है. साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

प्रदोष व्रत की विधि-

  • प्रदोष व्रत करने के लिए त्रयोदशी के दिन सूर्य उदय से पूर्व उठना चाहिए.
  • नित्यकर्मों से निवृत्त होकर भागवान शिव की उपासना करनी चाहिए.
  • इस व्रत में आहार नहीं लिया जाता है. पूरे दिन का उपवास करने के बाद सूर्य अस्त से पहले स्नान कर सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए.
  • पूजन स्थल को गंगाजल और गाय के गोबर से लीपकर मंडप तैयार करना चाहिए. इस मंडप पर पांच रंगों से रंगोली बनानी चाहिए. पूजा करने के लिए कुश के आसन का प्रयोग करना चाहिए.
  • पूजा की तैयारी करने के बाद उत्तर पूर्व दिशा की ओर मुख कर भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए.
  • पूजन में भगवान शिव के मंत्रऊॅं नम: शिवायका जप करते हुए शिव जी का जल अभिषेक करना चाहिए.

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