क्या आप जानते है माता लक्ष्मी की पूजा के लिए क्यों चुना गया शुक्रवार का दिन ?

 

मां कमला वरदायिनी, नमन करें स्वीकार।

हाथ जोड़ विनती करूँ,जग की तारनहार।।

वंचित कोइ रहे नहीं,सबके साधो काज।

दीन दुखी की मातु तुम ,रखना हरदम लाज।।

दूध पूत धन धान से,सभी रहें भरपूर।

कृपा सभी पर फलित हो, बनें कबीरा, सूर।।

जीवन बाग हरा रहे,खुशहाली का वास।

मन मंदिर में मां सदा,करना तुम प्रवास।।

कोटि कोटि तुमको नमन, किया ह्रदय प्रकाश।

पाप कपट का मातु अब,करना आप विनाश।।

माता लक्ष्मी जिस पर मेहरबान हो जाएं उसे किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती है इसलिए माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सभी अपनी तरह से पूजा अर्चना करते हैं. मां लक्ष्मी वैभव और यश की देवी हैं. ये माता दुर्गा की तीन शक्तियों में से एक हैं. मां लक्ष्मी कमल पर विराजमान रहती हैं. उनकी हथेलियां खुली हुई रहती हैं जिनसे धन वर्षा होती रहती है

सप्ताह के सातों दिन किसी ना किसी विशिष्‍ट देवी-देवता की पूजा होती है. आध्यात्म जगत में शुक्रवार का दिन भी विशेष महत्व रखता है. शास्त्रों के मुताबिक शुक्रवार के दिन किए गए व्रत से धन और संतान की प्राप्ति होती है. शुक्रवार का दिन देवियों को समर्पित है. इस दिन मां वैभव लक्ष्‍मी, महालक्ष्‍मी, दुर्गा, मां संतोषी और शुक्र ग्रह की पूजा होती है. इस दिन व्रत रखने वाले लोग आर्थिक परेशानियों और संतान की समस्‍या से मुक्ति पा सकते हैं.

शुक्रवार के व्रत का विशेष महत्‍व इसलिए है क्‍योंकि इस दिन मां वैभव लक्ष्‍मी और मां संतोषी की पूजा की जाती है और मनोकामना के लिए व्रत भी रखा जाता है. मां लक्ष्मी जहां व्‍यक्ति का घर धन धान्‍य से भर देती हैं, वहीं मां संतोषी अपने भक्‍तों के सभी दुख दूर कर देती हैं

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