जिदंगी में सफलता पाना चाहते हैं तो आज विजया एकादशी के बारे में गहना से जान लें

एकादशी ये शब्द ना केवल पावन  है बल्कि अपने आप में परिपूर्ण है . एकादशी का दिन इतना पावन होता है कि इस दिन एक अलग की सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार होता रहता है . एकादशी यानी कि भगवान विष्णु का दिन . एक ऐसा दिन , जिस दिन भगवान विष्णु को खुश करने के लिए हर भक्त पूरे मन के साथ उनके चरणों में समर्पित हो जाता है . आज एकादशी में भी एक खास एकादशी  का पावन अवसर है. क्योंकि आज है विजया एकादशी . विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. विजया एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है.साथ ही शत्रुओं पर विजय भी प्राप्त होता है. शास्त्रों में सभी एकादशी व्रत को भगवान विष्णु का समर्पित बताया गया है. विजया एकादशी का व्रत शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला माना जाता है.

विजया एकादशी तिथि का प्रारंभ शनिवार, यानी कि आज 26 फरवरी को सुबह 10:39 से शुरू आ चुका है, जो अगले दिन 27 फरवरी को सुबह 08:12 बजे तक चलेगा. इसके साथ ही इस बार एकादशी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है जो इसे और अधिक विशेष बनाएगा. 26 फरवरी के दिन दोपहर 12:11 बजे से 12:57 तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा.

वैसे तो सभी एकादशी के व्रत का अपना महत्व होता है. विजया एकादशी भी विजय और सफलता प्राप्ति की दृष्टि से ज़रूरी होती है. इस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. इस व्रत का पालन करने से कार्यों में सफलता मिलती है, विपत्तियों से छुटकारा मिलता है और अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त हो सकती है.

विजया एकादशी की कथा-

मान्यता है कि माता सीता को लाने और रावण के साथ युद्ध करने के रास्ते में सागर की अड़चन थी और कोई रास्ता दिखाई नहीं पड़ने पर श्रीराम ने चिंता व्यक्त करते हुए लक्ष्मण से पूछा कि हम आगे कैसे जा सकते हैं. तब लक्ष्मण ने कहा कि थोड़ी दूरी पर वकदालभ्य मुनि का आश्रम है और हमें उनसे मार्गदर्शन लेना चाहिए. मुनिवर ने सुझाव दिया कि "हे राम आप अपनी सेना समेत फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें, इस एकादशी के व्रत से आप निश्चित ही समुद्र को पार कर रावण को पराजित कर देंगे. श्री रामचन्द्र जी ने तब उक्त तिथि के आने पर अपनी सेना समेत मुनिवर के बताये विधान के अनुसार एकादशी का व्रत रखा और सागर पर पुल का निर्माण कर लंका पर चढ़ाई की और युद्ध में विजयी हुए. तब से इस एकादशी को विजया एकादशी के रूप में जाना जाता है.

विजया एकादशी की पूजन विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूरे दिन व्रत का पालन करें. इस दिन भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी की की उपासना करें. पूजा में फल, फूल, तुलसीदल, गंगाजल, दिए व धूप का प्रयोग करें. जल से भरे और अशोक से पत्ते से सजे कलश की भी स्थापना करें. एकादशी के दिन विष्णु की पूरी श्रद्धा से पूजा करें और पूरे दिन व्रत का पालन करें. अगले दिन यानि द्वादशी तिथि के दिन भी सुबह सुबह विष्णु पूजा करके व्रत पारण करें और दान दक्षिणा का पुण्य करें.

 

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.