केवल शिव और शक्ति के मिलन के लिए ही नहीं बल्कि दो अन्य कारणों से भी मनाई जाती है महाशिवरात्री

महाशिवरात्री ...ये ऐसा पावन नाम है जो रोम - रोम में शिव पार्वती की भक्ति को जागृत कर देता है .शिव की भक्ति और पावर्ती की शक्ति मन में तेज की ज्वाला जगा देती है और रस की बरसात होती है . जब – जब शिवरात्री का आगमन होता है तब – तब एक अलग प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है जैसे मानों भगवान शिव ,शक्ति के संग स्वंय ही पृथ्वी पर उतर आए हों. शिवरात्री का पर्व बेहद पावन होता है .शिव की कृपा और करूणा दोनों ही पृथ्वी पर बरसती है. वैसे तो हिंदू धर्म का हर अनुयायी ये बखूबी समझता होगा कि शिवरात्री के पर्व का क्या महत्व है और ये पर्व क्यों मनाया जाता है फिर भी अधिक्तर लोग ऐसे हैं जिंहे इस पर्व का एक ही कारण पता होगा कि आज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था .लेकिन सत्य तो ये है कि केवल इसी एक मंगलकार्य के लिए शिवरात्री का पर्व नहीं मनाया जाता है बल्कि और भी कई तत्थ आज के दिन तो साकार बनाते हैं . तो चलिए आपको बताते है कि आखिर महाशिवरात्री का पर्व क्यों मनाया जाता है –

शिव का जन्म शिवलिंग के रूप में –

शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे. शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था. ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत. बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो सके. वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए. दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला.

आज ही प्रकट हुए थे द्वादश ज्योतिर्लिंग-

शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही देशभर में द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे. ये 12 ज्योतिर्लिंग हैं: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग और घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग हैं. इन 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रकट होने के उत्सव के रुप में भी महाशिवरात्रि मनाई जाती है और भगवान शिव की पूजा की जाती है. महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं. साथ ही इन 12 ज्योतिर्लिंगों पर देश- विदेश से श्रद्धानु दर्शन करने आते हैं और यहां भक्तों की लंबी- लंबी लाइन महाशिवरात्रि के दिन देखने को हर साल मिलती है.

शिव और शक्ति का हुआ था मिलन -

महाशिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी. जिसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता पार्वती का विवाह भगवान शिव से हुआ. इसी कारण इस दिन को अत्यन्त ही महत्वपूर्ण माना जाता है.

 

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