जानिए गणपति बप्पा को कौन सी चीज है सबसे ज्यादा पसंद

हिंदू धर्म यानी की विस्तार का धर्म .ऐसा धर्म जहां भगवान के अलग - अलग रूपों से पौराणिक कथाएं जगमग है . हिंदू शास्त्र में हर ईश्वर का अपना महत्व है यहां तक के ईश्वर के सभी स्वरूप का महत्व अलग है . इन्ही स्वरूपों से ही जुड़े हुए है भारत में मनाए जाने वाले आधे से ज्यादा त्यौहार . हिंदू धर्म के सभी देवताओं से जुड़े त्यौहार हमेशा खास और महत्वपूर्ण होता है और ये सभी पर्व धूमधाम से मनाए जाते हैं. इन खास मौकों पर अलग-अलग तरह के व्‍यंजन और पकवान बनाए जाते हैं और भगवान को उनका भोग लगाया जाता है. जैसे कान्हा को जन्माष्टमी पर माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है तो शिवरात्रि पर शिवजी को भांग धतूरा और बेलपत्र चढ़ाकर खुश किया जाता है. वैसे ही गणेश चतुर्थी पर गणपतिजी को मोदक का भोग लगाया जाता है. गणेश जी को विघ्नहर्ता यूं ही नही कहा जाता, दरअसल किसी पूजा, आराधना, अनुष्ठान या मांगलिक कार्य में कोई विघ्न या बाधा न आए. इसलिए सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त की जाती है. कार्य पूर्ण होते ही गणेशजी को उनका प्रिय भोग मोदक तथा लड्डू का भोग चढ़ाया जाता है. आखिर क्या है मोदक और क्यों पसंद है ये गणेशजी को. मोदक का अर्थ होता है आनंद देने वाला. मोदक गणेशजी के इसी व्यक्तित्व को दर्शाता है. गणेशजी मोदक खाकर खुद भी आनंदित होते हैं तथा अपने भक्तों को भी आनंदित करते हैं.

गणपत्यथर्वशीर्ष में तो यहां तक लिखा है कि, “यो मोदकसहस्त्रेण यजति स वांछितफलमवाप्नोति.” यानी जो भक्त गणेश जी को एक हजार मोदक का भोग लगाता है गणेश जी उसे मनचाहा फल प्रदान करते हैं यानी उनकी मुरादें पूरी होती हैं. मोदक के प्रति गणेश जी का यह प्रेम यूं ही नहीं है.दरअसल गणेश जी का एक दांत टूटा हुआ है इसलिए गणेश जी एकदंत कहलाते हैं. मोदक तलकर और स्टीम करके दो तरह से बनाए जाते हैं. दोनों ही तरह से बने मोदक मुलायम और आसानी से मुंह में घुल जाने वाले होते हैं इसलिए टूटे दांत होने पर भी गणेश जी इसे आसानी से खा लेते हैं. इसलिए बिद्धिमान गणेश जी को मोदक बेहद पसंद है.

मोदक को शुद्ध आटा, घी, मैदा, खोआ, गुड़, नारियल से बनाया जाता है. इसलिए यह स्वास्थ्य के लिए गुणकारी और तुरंत संतुष्टिदायक होता है. यही वजह है कि इसे अमृततुल्य माना गया है. मोदक के अमृततुल्य होने की कथा पद्म पुराण के सृष्टि खंड में मिलती है.गणेश पुराण के अनुसार देवताओं ने अमृत से बना एक मोदक देवी पार्वती को भेंट किया. गणेश जी ने जब माता पार्वती से मोदक के गुणों को जाना तो उसे खाने की इच्छा तीव्र हो उठी और प्रथम पूज्य बनकर चतुराई पूर्वक उस मोदक को प्राप्त कर लिया. इस मोदक को खाकर गणेश जी को अपार संतुष्टि हुई तब से मोदक गणेश जी का प्रिय हो गया.

यजुर्वेद में गणेश जी को ब्रह्माण्ड का कर्ता धर्ता माना गया है. इनके हाथों में मोदक ब्रह्माण्ड का स्वरूप है जिसे गणेश जी ने धारण कर रखा है. प्रलयकाल में गणेश जी ब्रह्माण्ड रूपी मोदक को खाकर सृष्टि का अंत करते हैं और फिर सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मण्ड की रचना करते हैं. गणेश पुराण में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि गणेश जी परब्रह्म हैं इनकी उपासना से ही देवी पार्वती के गणेश जो गजानन भी हैं पुत्र रूप में प्राप्त हुए.गणेश जी को शास्त्रों और पुराणों में मंगलकारी माना गया है. मोदक गणेश जी के इसी व्यक्तित्व को दर्शाता है. मोदक का अर्थ होता है आनंद देने वाला. गणेश जी मोदक खाकर आनंदित होते हैं और भक्तों को आनंदित करते हैं.

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.