आज है फुलेरा दूज , आज के दिन गुलरियां का होता है खास महत्व, बनाई जाती है विशेष माला

आज है राधा कृष्ण की भक्ति का दिन, उनके प्रेम को समर्पित दिन ..यानी कि आज है फुलेरा दूज . आज का दिन राधा कृष्ण के प्रेम की जीती जागती मूरत होता है .माना जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण काफी दिनों तक राधारानी से मिल नहीं पाए. इस वजह से राधारानी उनसे रूठ गईं. राधारानी के साथ उनकी सखियां गोपियां भी श्रीकृष्ण से नाराज हो गईं. राधाजी को प्रकृति का प्रतीक माना जाता है. उनके रूठने से फूल, पेड़, पौधे सब मुरझाने लगे.भगवान श्रीकृष्ण तो अंतर्यामी थे. उनको प्रकृति की दशा देखकर के राधाजी और गोपियों की दशा के बारे में पता चल गया. वे जान गए कि वे सभी उन से नाराज हो गए हैं. एक दिन भगवान श्रीकृष्ण राधाजी से मिलने बरसाना पहुंच गए.श्रीकृष्ण जी से मिलकर राधारानी और गोपियां प्रसन्न हो गईं. चारों ओर फिर से प्रकृति में हरियाली छा गई. श्रीकृष्ण ने एक फूल तोड़कर राधाजी पर फेंक दिया. तब राधारानी ने भी एक फूल तोड़ा और श्रीकृष्ण जी पर फेंक दिया. यह देखकर गोपियां भी फूल तोड़ने लगीं और एक दूसरे पर फूल फेंकने लगीं.

इसीलिए आज का दिन होता है बेहद शुभ , आज के दिन सभी तरह के  शुभ काम किए जा सकते है . आज हर तरफ हरियाली ही हरियाली होती है और फूल से होली खेलने का दिन होता है . इतना ही नहीं फुलेरा दूज एक तरीके से होली की शुरुआत को दर्शाता है . जिन स्थानों पर होली का पर्व मनाया जाता है, वहां फुलेरा दूज के दिन प्रतीकात्मक रूप में उपले या फिर लकड़ी रख दी जाती हैं. इस दिन कई जगहों पर होली में चढ़ाने के लिए गोबर की गुलरियां बनाई जाती हैं. आइए जानते हैं आज फुलेरा दूज का महत्व और गुलरियां से जुड़ी जानकारी.

आज फुलेरा दूज से ही गुलरियां बनाना शुरू कर दिया जाता है. गुलरियां गोबर से बनाई जाती हैं. गुलरियां बनाते समय गोबर के छोटे-छोटे गोले बनाकर उसमें उंगली से बीच में सुराख बना दिए जाते हैं. जब गोबर से बने ये छोटे-छोटे गोले सूख जाते हैं, तब इन गुलरियों की पांच से सात मालाएं बना ली जाती हैं, जिन्हें होलिका दहन के दिन होली की अग्नि में चढ़ा दिया जाता है.

इसीलिए कहा जाता है कि आज का दिन ही होली की तैयारियों की शुरूआत होती है .और अगर हम बात करें ब्रज और वृंदावन में आज के दिन के महत्व की , तो आज फुलेरा दूज के दिन एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. इस दिन मंदिरों को फूले से सजाया जाता है और होली के भजन गाए जाते हैं. भगवान श्री कृष्ण का फूलों से श्रृंगार किया जाता है. इस दिन मथुरा वृंदावन और ब्रज में फूलों की होली खेली जाती है.

 

 

 

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