भगवान शिव और शिवलिंगों के रहस्यों के आगे विज्ञान भी जोड़ता है हाथ

 अध्यात्म और विज्ञान ... ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू है . कोई माने या ना माने लेकिन कुछ तथ्य आज भी ऐसे है जिनपर विज्ञान हाथ खड़े कर देता है . या यूं कहे आज भी भारत के अध्यात्म से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य है जिनपर विज्ञान भी पूर्ण रूप से शोध करके किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका है.अध्यात्म और ईश्वरीय शक्ति का जोड़ ही सकारात्मक ऊर्जा का एक मात्र सहारा है. ईश्वरीय शक्ति जीवन में वो अनुभव कराती है जो साधारण रूप से संभव नहीं है...आज सोमवार है यानी की साक्षात महादेव का दिन है , महादेव  देवों के देव हैं आज भी महादेव से जुड़े कुछ तथ्य हैं जिससे विज्ञान पार नहीं पाया है . अगर बात करें भगवान शिव के चमत्कारिक शिवलिंग की तो शिवलिंग से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य हैं जिनको जानने के बाद आज भी हैरानी होती है. तो चलिए आपको बताते है कि शिवलिंग औऱ भगवान शिव के कुछ रोचक तथ्य और रहस्यों के बारे में  – 
 
सारे देवताओं में केवल भगवान शिव ही निराकार रुप में पूजे जाते हैं निराकार रुप में उनके लिंग की पूजा की जाती है
शिवलिंग ब्रह्मांड की आकृति है. वहीं शिवलिंग भगवान शिव और मां पार्वती का आदि- अनादि रुप है.
कहा जाता है शिवलिंग के रुप में पूरे ब्रह्मांड की पूजा हो जाती है, क्योंकि भगवान शिव समत जगत के मूल कारण हैं
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में ऐसे महत्वपूर्ण शिव मंदिर हैं जो केदारनाथ से लेकर रामेश्वरम तक एक ही सीधी रेखा में बनाए गए हैं
शिव पुराण में बताया गया है कि शिव संसार की उत्पत्ति का कारण है. शिव पुराण में मिले तथ्य के अनुसार भगवान शिव ही पूर्ण रुप से पुरुष और निराकार हैं. उनके इस प्रतीकात्मक रुप में शिव लिंग की पूजा की जाती है. लिंग में ही समत संसार की शक्ति है.
अमरनाथ में बर्फ का जो शिवलिंग निर्मित हुआ है वह एक एक बूंद जल टपकने के कारण ही हुआ है.
जब बारिश नहीं होती है तो कई जगहों पर शिवलिंग को जल में डूबो दिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से जल्द बारिश शुरू हो जाती है.
भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जाएंगे ! माना जाता है कि भारत सरकार के न्यूक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है.

उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों की दूरी भी है रोचक-

उज्जैन से सोमनाथ- 777 किमी
उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 किमी
उज्जैन से भीमाशंकर- 666 किमी
उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 किमी
उज्जैन से मल्लिकार्जुन- 999 किमी
उज्जैन से केदारनाथ- 888 किमी
उज्जैन से  त्रयंबकेश्वर- 555 किमी
उज्जैन से बैजनाथ- 999 किमी
उज्जैन से रामेश्वरम्- 1999 किमी
उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी
उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है, जो सनातन धर्म में हजारों सालों से मानते आ रहे हैं. इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिष गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी बनाए गए हैं वह भी करीब 2050 वर्ष पहले.

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