जानें नवम्बर के महीने में कब पड़ रही है मार्गशीष अमावस्या, क्या है इसका महत्व

हिंदू धर्म में हर एक त्योहार का अलग महत्व है औऱ हर  त्योहार  अलग तरीके से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि हर त्योहार में अलग तरीके से पूजा पाठ करने का विधान है। इसी तरह हिंदुओं में अमावस्या तिथि का भी अलग महत्व बताया गया है। मुख्य रूप से अमावस्या तिथि महीने में एक बार आती है और इस दिन खासतौर पर पितरों को याद किया जाता है। हिंदू पंचांग के हिसाब से हर माह कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या तिथि होती है।अमावस्या तिथि के दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और इस दिन अपने पितरों को याद करते हुए दान पुण्य किया जाता है। आइए जानते है इस बार मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या कब मनाई जाएगी और इसका क्या महत्व है। 

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मार्गशीर्ष अमावस्या होती है. मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और उसके बाद दान करने का विशेष महत्व है. ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितर भी तृप्त होते हैं. मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति के उपाय भी किए जाते हैं. शास्त्रों में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व बताया गया है लेकिन मार्गशीर्ष की अमावस्या को बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि 23 नवम्बर  बुधवार  के दिन पड़ेगी। 

1- मार्गशीर्ष अमावस्या 2022 तिथि-
पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 23 नवंबर दिन बुधवार को सुबह 06 बजकर 53 मिनट से प्रारंभ हो रही है और इस तिथि का समापन 24 नवंबर को प्रात: 04 बजकर 26 मिनट पर हो रहा है. ऐसे में मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवंबर को है क्योंकि 24 नवंबर को अमावस्या तिथि सूर्योदय पूर्व ही खत्म हो जा रही है. 23 को सूर्योदय सुबह 06 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है. अमावस्या की उदयातिथि 23 नवंबर को प्राप्त हो रही है.

2- मार्गशीर्ष अमावस्या 2022 स्नान-दान मुहूर्त- 
मार्गशीर्ष अमावस्या को प्रात:काल से ही शोभन योग लग रहा है, जो दोपहर 03 बजकर 40 मिनट तक है. यह शुभ योग है. वहीं मार्गशीर्ष अमावस्या को प्रात: 06 बजकर 40 मिनट से सुबह 08 बजकर 01 मिनट तक शुभ उत्तम मुहूर्त है. इस वजह से मार्गशीर्ष अमावस्या का स्नान और दान प्रात:काल से लेकर सुबह 08:01 बजे के मध्य तक कर लेना चाहिए.

3- मार्गशीर्ष अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग- 
इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बना हुआ है. हालांकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रात 09 बजकर 37 मिनट से अगली सुबह 06 बजकर 51 मिनट तक है. इस पर ही अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है.

मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व- 
ऐसा माना जाता है इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करना बेहद शुभफलदायी होता है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान आदि करने से पितृ प्रसन्न होते हैं व अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस दिन पितरों के नाम का दीपक जरूर जलाएं जिससे उन्हें मुक्ति मिल सके। इस बार नवम्बर के महीने में  बुधवार को कृपा पाने के लिए धार्मिक अनुष्ठान करना भी श्रेष्ठ रहेगा। अमावस्या होने पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए यह दिन अति उत्तम माना जाता है। पूर्णिमा तिथि की भांति अमावस्या तिथि का भी शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन पवित्र नदियों या सरोवर में स्नान व पितरों के निमित्त दान करने का बहुत महत्व माना गया है। ऐसा माना जाता है कि अमावस्या के दिन पितरों को याद करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सभी अमावस्या के समान ही मार्गशीर्ष अमावस्या भी पितरों के लिए महत्वपूर्ण होती है. इस दिन नउी स्नान के बाद पितरों को जल से तर्पण करना चाहिए. इससे पितर प्रसन्न और तृप्त होते हैं. जिन लोगों पर पितृ दोष होता है, उनको मार्गशीर्ष अमावस्या को अपने पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण आदि कार्य करना चाहिए. इस दिन पूजा के समय गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए.

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