हिन्दू धर्म में सोलह शृंगार का बहुत महत्व होता है ....


हिन्दू धर्म में सोलह शृंगार का बहुत महत्व होता है ....

आपने अक्सर विवाहित स्त्रियों को सज़े हुये देखा होगा जब किसी की शादी होती है तब सोलह शृंगार की सबसे अहम भूमिका होती है. जब स्त्री शादी के बाद सोलह शृंगार कर तैयार होती है तब उसकी सुंदरता में चार चाँद लग जाते हैं. जब एक स्त्री मांग में सिंदूर, हाथों में चूड़ी, मेहंदी, मंगलसूत्र धरण कर अपने घर से पराए घर जाती है तो उसके जीवन की एक नई शुरुआत होती हैं. इन सभी शृंगार की चीजों को धरण कर वो अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं... अक्सर महिलाएं करवाचौथ के दिन भी कुछ ऐसे ही तैयार होती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करती है.

शृंगार में इस्तेमाल होने वाली चीजों का धार्मिक के साथ साथ वैज्ञानिक मोल भी होता है. तो आइए आपको सोलह शृंगार में इस्तेमाल होने वाली सभी जरूरी चीजों से अवगत कराते हैं और जानते हैं सबके महत्व के बारे में .... 

 

 

1- सिंदूर

सबसे पहले बात की जाए सिंदूर की तो सिंदूर विवाह के समय विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ पति अपनी पत्नी की मांग में भरता है... इसकी धार्मिक मान्यता है की एक वधू अपने वर की दीर्घायु की कामना करते हुये अपनी मांग में सिंदूर भरती हैं, इसे सुहागन होने का मुख्य प्रतीक माना जाता है.

 

2- बिंदी

बिंदी एक स्त्री के चेहरे को और भी ज्यादा सुंदर बनाने का काम करता हैं इसीके साथ माथे के बीच में बिंदी लगाने का तात्पर्य मन की शांति से है. पुराने समय में लोग कुमकुम की बिंदी लगाया करते थे.

 

3-काजल

काजल लगाने से बुरी नज़र से रक्षा होती हैं इसलिए काजल को भी सोलह शृंगार में शामिल किया जाता है. साथ ही साथ काजल लगाने से आँखों की सुंदरता में चार चाँद लग जाते हैं.

 

4- मंगलसूत्र

विवाह के समय विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ वर अपनी वधू के गले में मंगलसूत्र पहनाता है. यह मंगलसूत्र स्त्री के सुहाग का प्रतीक होता है, और सिंदूर की तरह ही इसकी भी एक विवाहित स्त्री के जीवन में अहम भूमिका होती है.

 

5- मेहंदी

हिन्दू धर्म के अनुसार शादी के समय मेहंदी की रश्म बहुत महत्वपूर्ण होती है. मेहंदी लगाना शुभ माना जाता है और महंदी का रंग जितना गहरा चढ़ता हैं आपके विवाहित जीवन में उतनी खुशहाली होने की बात कही जाती है. लोगो का यह भी मानना है की मेहंदी के रंग की गहराई ही पति के प्रेम का प्रतीक होती है.

 

6- चूड़ियाँ

आज के समय में तरह तरह की धातु की चूड़ियाँ मार्केट में उपलब्ध हैं लेकिन एक सुहागन के लिए हरे और लाग रंग की काँच की चूड़ियाँ ही जरूरी होती हैं. ऐसा माना जाता है की काँच की चूड़ियों की खनक से नकारात्मकता दूर होती है.

 

7- बिछिया 

हिन्दू धर्म में एक विवाहिता स्त्री को बिछिया पहनना जरूरी होता है. शादी के समय कांसे की बनी बिछिया स्त्री को पहनाई जाती है.

 

8- गजरा

देखा जाता था की पहले की समय में स्त्रियाँ अपने बालों में चन्दन आदि की धूप देती थी और अपने बालों को सँवारकर गजरे से सजाती थी ... सलीके से बंधे संवरे बाल एक विवाहित स्त्री का प्रतीक होते हैं.

 

9- लाल जोड़ा

लाल रंग को हिन्दू सभ्यता में हमेशा से ही शुभ माना जाता रहा है. इसी के साथ लाल रंग को सुहाग की निशानी बताया जाता है. आज कल लोग तरह तरह के जोड़े पहनने लगे हैं लेकिन लाल जोड़े को ही शुभ माना जाता है, मंदिरों में देवी माँ को भी सदैव ही लाल चुनरी चढ़ाई जाती है.

 

10- मांग टीका

मांग टीका विवाहित जीवन को सही से साध कर चलने का प्रतीक होता है साथ ही साथ यह चेहरे की आभा को और भी ज्यादा बढ़ाता है.

 

11- नथ

शादी के वक़्त स्त्री को सोने की नथ जरूर पहनाई जाती है. नथ के बिना एक स्त्री का शृंगार अधूरा होता है.

 

12- कर्णफूल

कान में पहनी जाने वाली बालियों को कर्णफूल कहा जाता है. आज कल तरह तरह के धातु के कुन्दन आ रहे हैं लेकिन सोने चांदी और कुन्दन के बने हुये कर्णफूल को शुभ माना जाता है. इसीके साथ कानों के पास मौजूद एक्यूप्रेशर पॉइंट्स दबने से यह स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है.

 

13- बाजूबंद

बाजूबंद पहनना का तात्पर्य धार्मिक मान्यता के अनुसार धन रक्षा से माना गया है व वैज्ञानिक आधार पर इससे शरीर में बेहतर रक्तसंचार होता है. 

 

14- अंगूठी 

विवाह की शुरुआत वर वधू एक दूसरे को अंगूठी पहना कर करते हैं, इसे प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता है. अंगूठी हमेशा बाएं हाथ की अनामिका उंगली में पहनाई जाती है क्योंकि इस उंगली की नशें हृदय से जा कर जोड़ती हैं जिससे पति पत्नी के बीच हमेशा प्रेम बना रहता है.

 

15- कमरबंध

कमर में बंधा कमरबंध स्त्री की सुंदरता को और निखारता है, महिलाओं के लिए चांदी का कमरबंध शुभ माना जाता है. यह स्त्री की घर के प्रति जिम्मेदारियों का प्रतीक होता है.

16- पायल 

स्त्री जब बहु बन कर दूसरे घर आती है तो उसे घर की लक्ष्मी माना जाता है. चांदी की पायल शुभ और संपन्नता का प्रतीक होती हैं, सोने की पायल कभी नहीं पहननी चाहिए. 

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