कब है वृश्चिक संक्रांति, जानिये शुभ मुहूर्त और महत्व

सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना संक्रांति कहलाता है. संक्रांति के दिन सूर्य देव जब एक राशि से निकल कर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे संक्रमण काल कहा जाता है. सौर मास के लिए ये समय अत्यंत ही विशेष होता है. अब सूर्य ला राशि को छोड़कर वृश्चिक राशि में प्रवेश करने वाले हैं. इस कारण से संक्रांति का समय बहुत विशेष माना जाता है. भगवान सूर्य की पूजा करना इस समय अत्यंत ही शुभ माना जाता है.इसमें दान- पुण्य, श्राद्ध व तर्पण का विशेष महत्व होता है. पंचांग के अनुसार 12 बार राशि परिवर्तन होने की वजह से साल में संक्रांति काल भी 12 होते हैं. सूर्य जब तुला को छोड़कर वृश्चिक राशि में प्रवेश करता है तो उसे वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है. इस बार यह सक्रांति 16 नवंबर को होगी, जिसके बाद सूर्य 15 दिसंबर तक इसी राशि में रहेगा. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इस काल में दान- पुण्य करना कई गुना ज्यादा फलदायी होता है. आइए जानते हैं वृषिक संक्रांति का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में.


1- वृश्चिक संक्रांति में सूर्य का पूजन- 
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार, अन्य संक्रांति की तरह वृश्चिक सक्रांति में भी सूर्य पूजन लाभदायी होता है. इस काल में मनुष्य को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए. फिर स्नान कर तांबे के पात्र में शुद्ध पानी भरकर उसमें लाल चंदन मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. रोली, सिंदूर व हल्दी मिला जल चढ़ाने का भी विधान है. सूर्य के लिए दीपक जलाते समय घी में भी लाल चंदन मिलाना चाहिए.

पूजन में फूल भी लाल रंग के ही उपयोग में लेने चाहिए. गुड़ से बने हलवे का भोग लगाने के साथ पूजा में  ऊं दिनकराय नम: या अन्य सिद्ध मंत्रों का जाप करना चाहिए. पंडित जोशी के अनुसार संक्रांति काल में सूर्य भगवान की विधिपूर्वक पूजा- अर्चना से सूर्य दोष व पितृ दोष दूर होकर मनुष्य को अंत काल में सूर्य लोक की प्राप्ति होती है.

2- दान- पुण्य के साथ करें श्राद्ध व तर्पण
संक्रांति काल दान- पुण्य तथा श्राद्ध व पितृ तर्पण का काल भी माना जाता है. ऐसे में वृश्चिक संक्रांति में भी मनुष्य को तीर्थ स्नान कर पितरों का श्राद्ध व तर्पण करना चाहिए. देवीपुराण के अनुसार जो मनुष्य संक्रांति काल में भी तीर्थ स्नान नहीं करता, वह सात जन्मों तक रोगी और निर्धन रहता है. इस दिन ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन, कपड़े व गाय आदि का दान करना भी श्रेष्ठ माना गया है.

3- वृश्चिक संक्रांति तिथि और शुभ मुहूर्त समय - 
वृश्चिक संति 16 नवंबर 2022 बुधवार के दिन मनाई जाएगी. वृश्चिक संक्रांति पुण्य काल दोपहर 12:06 बजे से शाम 05:27 बजे तक रहने वाला है. इसकी अवधी अवधि 05 घंटे 21 मिनट तक व्याप्त होगी. संक्रांति महा पुण्य काल - 03:40 अपराह्न से 05:27 अपराह्न तक होगा. 

वृश्चिक संक्रांति का महत्व - 
हिंदू मान्यता के अनुसार संक्रांति तिथि पर सूर्य देव के निमित्त दान, स्नान और पूजा करना शुभ होता है. इस साल 16 नवंबर को शाम 7.27 बजे सूर्य देव वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे. इसके बाद सूर्य देव इस राशि में एक महीने तक रहेंगे.

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