कब है चंपा षष्ठी का व्रत, जानिये व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारें मे
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अगहन माह या मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को चंपा षष्ठी का व्रत रखा जाता है. चंपा षष्ठी का दिन भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव के मार्कंडेय स्वरूप की पूजा की जाती है. स्कंदपुराण के अनुसार यह पर्व भगवान कार्तिकेय को भी समर्पित है. यह वजह है कि इस पर्व को स्कंद षष्ठी भी कहा जाता है. इस दिन कई जगहों पर भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत किया जाता है. घर में लोग विधि पूर्वक व्रत रखकर भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करते हैं. इस साल चम्पा षष्ठी 29 नवंबर को पड़ रही है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से पाप मिटते हैं और कष्ट दूर होते हैं, संकटों का नाश होता है और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं चंपा षष्ठी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में.
चंपा षष्ठी 2022 तिथि -
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 28 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से हो रहा है. यह तिथि अगले दिन 29 नवंबर मंगलवार को सुबह 11 बजकर 04 मिनट पर समाप्त हो रही है. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, चंपा षष्ठी का व्रत 29 नवंबर मंगलवार को रखा जाएगा.
रवि और द्विपुष्कर योग में चंपा षष्ठी-
इस साल चंपा षष्ठी के दिन रवि योग और द्विपुष्कर योग बना हुआ है. इस दिन ध्रुव योग सुबह से लेकर दोपहर 02 बजकर 53 मिनट तक है. रवि योग सुबह 06 बजकर 55 मिनट से सुबह 08 बजकर 38 मिनट तक है, वहीं द्विपुष्कर योग सुबह 11 बजकर 04 मिनट से अगले दिन 30 नवंबर को सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक है.
चंपा षष्ठी 2022 पूजा मुहूर्त
शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 06:45 बजे से सुबह 08:05 बजे तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: दोपहर 12:06 बजे से दोपहर 01:26 बजे तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: दोपहर 01:26 बजे से दोपहर 02:46 बजे तक
इस दिन व्रत और पूजा करने का महत्व-
इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से पाप खत्म होते हैं, ऐसी मान्यता है. इसके साथ ही परेशानियां दूर होती हैं, सुख-शांति भी मिलती है और मोक्ष प्राप्ति होती है। माना जाता है कि चंपा षष्ठी व्रत से प्रसन्नता बनी रहती है. ऐसी मान्यता है कि यह व्रत करने से पिछले जन्म के सारे पाप धुल जाते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है. भगवान कार्तिकेय मंगल ग्रह के स्वामी हैं. मंगल को मजबूत करने के लिए इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत करना चाहिए.
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