कब है सफला एकादशी? जानिये शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

पौष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है. ऐसी मान्यता मान्यता है कि, इस एकादशी का व्रत करने से सारे कार्य सफल हो जाते हैं, इसलिए इसे सफला एकादशी कहा गया है. इस दिन भगवान अच्युत और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. सफला एकादशी इस साल की आखिरी एकादशी है. इस बार सफला एकादशी 19 दिसंबर 2022, 2022, सोमवार को मनाई जाएगी. सफला एकादशी के दिन व्रत करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है. 

सफला एकादशी कथा- 

प्राचीन काल में चंपावती नगर में राजा महिष्मत राज करते थे. राजा के 4 पुत्र थे, उनमें लुम्पक बड़ा दुष्ट और पापी था. वह पिता के धन को कुकर्मों में नष्ट करता रहता था. एक दिन दुःखी होकर राजा ने उसे देश निकाला दे दिया, लेकिन फिर भी उसकी लूटपाट की आदत नहीं छूटी. एक समय उसे 3 दिन तक नहीं मिला. इस दौरान वह भटकता हुआ एक साधु की कुटिया पर पहुंच गया. सौभाग्य से उस दिन सफला एकादशी थी. महात्मा  ने उसका सत्कार किया और उसे भोजन दिया. महात्मा के इस व्यवहार से उसकी बुद्धि परिवर्तित हो गई. वह साधु के चरणों में गिर पड़ा. साधु ने उसे अपना शिष्य बना लिया और धीरे-धीरे ल्युक का चरित्र निर्मल हो गया. वह महात्मा की आज्ञा से एकादशी का व्रत रखने लगा. जब वह बिल्कुल बदल गया तो महात्मा ने उसकेपिता सामने खड़े थे. इसके बाद लुम्पक ने राज-काज संभालकर आदर्श प्रस्तुत किया और वह आजीवन सफला एकादशी का व्रत रखने लगा. 

सफला एकादशी शुभ मुहूर्त - 
सफला एकादशी पौष माह की कृष्ण पक्ष की तिथि को मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार, सफला एकादशी की शुरुआत 19 दिसंबर 2022, सोमवार को सुबह 03 बजकर 32 मिनट पर होगी और इसका समापन अगले दिन 20 दिसंबर मंगलवार को सुबह 02 बजकर 32 मिनट पर होगा. सफला एकादशी का पारण 20 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 05 मिनट से 09 बजकर 18 मिनट तक होगा. 

सफला एकादशी पूजन विधि - 

सफला एकादशी के दिन स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. उसके बाद भगवान अच्युत और भगवान विष्णु को धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि अर्पित करना चाहिए. नारियल, सुपारी, आंवला, अनार और लौंग आदि से भगवान अच्युत और भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए. इस दिन रात्रि में जागरण कर श्री हरि के नाम के भजन करने का बड़ा महत्व है. व्रत के अगले दिन किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिण दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए. 

 

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