जानिये सभी देवी देवताओं से पहले क्यों होती है श्री गणेश की पूजा

हिंदू धर्म में सर्वप्रथम पूजनीय देव भगवान गणेश माने गए हैं. बिना गणेश पूजन के किसी भी देवता की पूजा संपन्न नहीं होती है. इसलिए किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत श्रीगणेश के साथ होती है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि धन की देवी मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा का विधान है. मां लक्ष्मी और श्रीगणेश की पूजा से सुख—समृद्धि के साथ धन, वैभव, ऐश्वर्य में वृद्धि होती है. लेकिन, क्या आप जानते हैं माता लक्ष्मी भगवान गणेश जी के दाहिनी ओर क्यों विराजती है? आइये जानते हैं इससे जुड़ी ये कथा.

मां लक्ष्मी के गणेश जी के दाहिनी ओर विराजने का कारण- 
एक पौराणिक कथा के अनुसार, माता लक्ष्मी के कोई संतान नहीं होने से वे काफी दुखी थी. अपनी व्यथा लेकर मां लक्ष्मी माता पार्वती के पास पहुंची और प्रार्थना कर कहा कि वे अपने एक पुत्र को उनको सौंप दें. माता पार्वती ने मां लक्ष्मी की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और अपने पुत्र गणेश को उन्हें दत्तक पुत्र के रूप में दे दिया. तब से भगवान गणेश मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र के रूप में पूजे जाते हैं. पुत्र पाकर मां लक्ष्मी काफी प्रसन्न हुईं और उन्होंने गणेश जी को वरदान दिया कि जो भी मेरे साथ तुम्हारी पूजा करेगा उनके यहां मैं भी निवास करूंगी. मां लक्ष्मी और गणेश जी के बीच माता पुत्र का संबंध है और माता सदैव अपने पुत्र के दाहिनी ओर विराजती है, इसलिए मां लक्ष्मी भी गणेशजी के दाहिने ओर विराजती हैं.

मां लक्ष्मी और गणेश पूजन का महत्व- 
ज्योतिषियों के अनुसार, मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है. वहीं, गणेश जी को बुद्धि के देवता कहा जाता है. धार्मिक परिपेक्ष्य से धन और बुद्धि का एक साथ होना आवश्यक है. मां लक्ष्मी की पूजा से आर्थिक संपन्नता मजबूत होती है, जबकि भगवान गणेश जी पूजा से सुख—समृद्धि व बुद्धि की प्राप्ति होती है. इसलिए मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. 

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