क्यों मनाई जाती हैं धूमावती जयंती , जाने

अगर आप भी धूमावती जयंती के बारे में नही जानते हैं , तो आज का ये धर्म आर्टिकल जरुर पढ़ें.......

हर साल धूमावती जयंती का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को धूमावती महाविद्या जयंती के नाम से भी जाना जाता हैं. इस दिन देवी धूमावती पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं.  यह त्यौहार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं. इस साल यह त्योहार 14 जून 2024, शुक्रवार को मनाया जाएगा. इस दिन देवी धूमावती की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता हैं. सनातन धर्म के लोगों के लिए इस तिथि का बहुत महत्व है, क्योंकि कहा जाता है कि इस दिन माता धूमावती की पूजा करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता हैं.  हिंदू पवित्र ग्रंथों के अनुसार, देवी धूमावती को 10 महाविद्याओं में से सातवीं और देवी दुर्गा का सबसे उग्र रूप माना जाता हैं.  मां का रूप जितना उग्र है, उनका हृदय उतना ही कोमल हैं. 

कैसे करें पूजा...
 
. सूर्योदय से पहले उठना चाहिए.
. जो लोग व्रत रखना चाहते हैं . वो देवी माँ के सामने व्रत का संकल्प लें.
. देवी माँ की मूर्ति को एक वेदी पर स्थापित करें. 
. पंचामृत, गंगाजल और शुद्ध जल से देवी का अभिषेक करें.
. देवी माँ को कुमकुम लगाए 
. देवी माँ श्रृंगार का सामान और वस्त्र अर्पित करें. 
. माँ के सामने घी का दीपक जलाए. 
. उन्हें मिठाई और फल का भोग लगाए. 
. माँ के वैदिक मंत्र का जाप करें. 
. आरती कर के पूजा समाप्त करें. 
. इस दिन काले कपड़े में काले तिल लपेटकर चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 

मंत्र का जाप करें..
ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्॥

धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥

स्तुति करें..
विवर्णा चंचला कृष्णा दीर्घा च मलिनाम्बरा,

विमुक्त कुंतला रूक्षा विधवा विरलद्विजा,

काकध्वजरथारूढा विलम्बित पयोधरा,

सूर्पहस्तातिरुक्षाक्षी धृतहस्ता वरान्विता,

प्रवृद्वघोणा तु भृशं कुटिला कुटिलेक्षणा,

क्षुत्पिपासार्दिता नित्यं भयदा काल्हास्पदा

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