जल संचयन के लिए बनाए गए अमृत सरोवर बेमकसद साबित हो रहे हैं

गोंडा :  जल संचयन के लिए बनाए गए अमृत सरोवर बेमकसद साबित हो रहे हैं। गर्मी में इन तालाबों में पानी ही नहीं है। मनरेगा के तहत बने तालाब खुद सूखे पड़े हैं। उनमें धूल उड़ रही है। मवेशियों, पक्षियों की प्यास बुझाने का दावा बेकार साबित हो रहा है। विकासखंड मनकापुर में कुल 25 अमृत सरोवर का निर्माण कराया गया था। अमृत सरोवर का निर्माण मनरेगा के तहत कराया गया था। लाखो रुपये का बजट खर्च कर बनाए गए अमृत सरोवर गर्मियों में काम नहीं आ रहे है बरसात के पानी को सहेजने और भूगर्भ जलस्तर बढ़ाने के उद्देश्य से ब्लॉक क्षेत्र में बनाए गए अमृत सरोवर सूखे हुए हैं। तेज हवा चलने पर इनमें धूल उड़ती देखी जा सकती है। शासन ने सुंदरीकरण और निर्माण के लिए लाखो रुपये खर्च किए थे, लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते अमृत सरोवर बदहाली के आंसू बहा रहे हैं। ग्रामीणों को मवेशियों को  पानी पिलाने के लिए सरकारी संसाधनों की बजाय खुद के संसाधनों से व्यवस्था करनी पड़ रही है। पंचायती राज विभाग ने कई तालाबों का सौंदर्याकरण कराया था जो अब देखरेख के अभाव में बदहाली के आंसू बहा रहे हैं। पंचायती राज विभाग ने तालाबों को चिह्नित कर मनरेगा के माध्यम से उसमें कच्चा काम कराया था। इनमें उनकी साफ-सफाई के अलावा खुदाई, समतलीकरण और पटरियां बनाने का कार्य शामिल ब्लॉक क्षेत्र में 53 तालाब सुन्दरीकरण प्रस्तावित हुआ जिसमें 35 तालाब सुन्दरीकरण का कार्य पूर्ण हुआ है 18 तालाब सुन्दरीकरण का कार्य प्रगति पर है।कई ग्राम सभाओं में तालाब पर अतिक्रमण की सूचना है जिसको खाली नही किया गया कही मकान निर्माण है और तालाब को पाटकर अबैध रूप से अतिक्रमण कर लिये है।न उस तालाब को ग्राम प्रधान खाली करा रहे और गांव के दबंगों द्वारा अबैध रूप से तालाब पर कब्जा किए है उस तालाबो पर शिकायत होती है। तो क्षेत्रीय लेखपाल खाना पूर्ति कर इतिश्री कर लेते है जिससे तालाबों पर से अबैध कब्जा नही हटाया जा रहा है गांव के बगल में बने तालाब में बरसात का पानी लोगों के घरों के पानी उस तालाब में जमा होता था पर तालाबो पर अतिक्रमण होने पर घरों में पानी जमा रहता है।वही खण्ड विकास अधिकारी गौरीशा  श्रीवास्तव ने कहा कि जहाँ के तालाब सूखे है वहाँ के सचिव व ग्राम प्रधान को तालाब में पानी भराने के लिये निर्देशित किया गया।


रिपोर्टर : बी के ओझा

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