मानव का मानव से आत्मीयता का सम्बन्ध

गुजरात :   हम अपने आसपास अधिकांश यह देखते है कि, कहीं पर भी कोई व्यक्ति निस्हाय व्यक्ति होता है तो, मन अपने-आप हमारे मन में उनकी मदद करने की चेष्टा उत्पन्न होती है। मगर जिन लोगों में यह भावना नहीं होती जो किसी की मदद करने से कतराते है वह उनसे अपने आप को उनसे अलग रखते है  ऐसे समय में उनका  मजाक उड़ाते हैं उनपर हंसते हैं! यही भावना एक इंसान को दूसरे इंसान से अलग रखती है इंसानियत को बदनाम करती हैं। समस्या हर एक इंसान के जीवन में होती है कोई ऐसा व्यक्ति नही जो इस संसार में  समस्या से जूझ नही रहा हों, ऐसे समय में अन्य व्यक्ति के साथ अपनेपन की भावना से मदद होना मानवीय स्वभाव हैं! मनुष्य जो कुछ भी करता है वह सब कर्म है, लेकिन इनमें से कुछ क़र्म सार्थक होते हैं और कुछ निर्रथक! जो व्यक्ति ईश्वर को समर्पित होकर कर्म करता है उसका कर्म कभी निष्फल नहीं होता, लेकिन ऐसा प्रत्येक कर्म निष्फल हो जाता है जिसमें कर्ता को अभिमान का बोध होता है। ऐसा कहा जाता है कि, जब कर्ता में से अभिमान का विसर्जन हो जाए तो उसके द्वारा किया गया कर्म सार्थक बन जाता है।

चारों और विकास की भरमार हैं! हम उस मुकाम तक तो पहुंच ही गए हैं कि, जहां खाना - पीना, रहना और व्यवसाय के साथ - साथ कुछ औपचारिक सुविधाएं प्रत्येक के जीवन में मिल रही हो! चाहे वह एक गांव से दूसरे गांव को जोड़ती हुई सड़क ही क्यों न हो! पर वह आत्मीयता की सड़क लुप्त होने के कगार पर प्रतीत हो रही है जो एक मानवीय मन से दूसरे मानवीय मन तक पहुंचे! विकास की भरमार में महंगाई से कहीं ज्यादा गंभीर है घटती मानवता की समस्या! स्नेह एवं आत्मीयता का बंधन लोहे के बंधन से कहीं अधिक मजबूत होता है, वर्ना..!! लकड़ी को आरपार भेदकर निकल जाने वाला भंवरा, जब कमल के फूल में बंद हो जाता है, तो उसकी कोमल पँखुडियों को भी नही भेद सकता! क्यूँकि वहाँ, स्नेह का बंधन होता हैं! अब हम विचार करें कि, हमें भेदकर व्यक्ति आरपार क्यों निकल जाता है? वर्षों - वर्षों साधना करने वाला, हमारे कहे अनुसार करने वाला, अपने ध्येय को ही इष्ट समझने वाला आखिर हमसे दूरी क्यों बना लेता है? ऐसा क्या हो जाता है कि, वह हमारी परछाई से भी दूर भागता है? तो इसका उत्तर हमें भंवरा देता है, भंवरा कमल से प्रेम करता है, उसके मन के भाव को समझता है, उसकी बात के मर्म को सुनता है उसे यह नहीं कहता कि, आपकी बात पुरानी है महत्वहीन है! हम भी कार्य करते हुए अपना संबंध कमल और भंवरे की तरह रखें! यह परम सत्य है कि, अगर हम किसी व्यक्ति को या विषय को सम्मान देते हैं तो वह तो हमें दोगुना होकर वापिस मिलता ही है इससे अपने कार्य को भी अद्वितीय गति मिलती है!  आधुनिकता की इस दौड़ में हम टेक्नोलॉजी का उपयोग कर आगे तो बढ़ ही रहे है, पर किसी व्यक्ति का अकस्मात होने पर उसी टेक्नोलॉजी का प्रयोग से वीडियो बनाते है मदद का हाथ बढ़ाने से पहले! किसी बेसहारा को पानी पिलाने से लेकर हर एक वह कार्य जो निस्वार्थ भावना से मानवता की अलख को प्रज्वलित करता है वह करने से जो असीमित आनंद की प्राप्ति होती है वह कहीं और नहीं मिल सकती! करके देखें आनंद आएगा! कमजोर और असहाय की मदद करना सच्ची मानवता है।

रिपोर्टर : कमलेश डाभी (राजपूत)

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