जल है तो कल है,जल संरक्षण बस एक विकल्प - मुकुंद साव

चौपारण  :  चौपारण पीने योग्य पानी का मुख्य स्रोत भूगर्भ जल ही है, मगर अनियोजित औद्योगीकरण, बढ़ता प्रदूषण, घटते रेगिस्तान एवं ग्लेशियर, नदियों के जलस्तर में गिरावट, पर्यावरण विनाश, प्रकृति के शोषण और इनके दुरुपयोग के प्रति असंवेदनशीलता पूरे विश्व को एक बड़े जल संकट की ओर ले जा रही है। पैकेट और बोतल बन्द पानी आम जनमानस की आदत सी बनती जा रही है और अपने संसाधनों के प्रति हमारी लापरवाही अपनी मूलभूत आवश्यकता को बाजारवाद के हवाले कर देने की राह आसान कर रही है। उक्त बातें आज विश्व भूगर्भ जल दिवस के अवसर पर आयोजित गोष्ठी में बतौर मुख्य आयोजक जल संरक्षण अभियान झारखंड प्रदेश के एक्सक्यूटिव सदस्य मुकुंद साव बोल रहे थे,गोष्ठी की अध्यक्षता अभिया की सदस्य पूर्णिमा देवी ने किया जबकि संचालन रीता देवी ने किया, मौके पर श्री साव ने बताया कि आप सोच सकते हैं कि एक मनुष्य अपने जीवन काल में कितने पानी का उपयोग करता है, किंतु क्या वह इतने पानी को बचाने का प्रयास करता है? उत्तर मिलेगा नही,उन्होंने कहा कि भारत में मानसून की अनियमितता के कारण सम्पूर्ण देश में कहीं-न-कहीं अनावृष्टि, अतिवृष्टि एवं आंशिक वृष्टि का खतरा बना रहता है। परन्तु राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में परम्परागत तरीकों से राज्य के निवासियों ने अपने क्षेत्र के अनुरूप जल भण्डारण के विभिन्न ढाँचों को बनाया है। ये पारम्परिक जल संग्रहण की प्रणालियाँ काल की कसौटी पर खरी उतरीं। ये प्रणालियाँ विभिन्न सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक परिस्थितियों के कारण अपने प्रभावशाली स्वरूप में उभरी ।साथ ही इनका विकास भी स्थानीय पर्यावरण के अनुसार हुआ है। एवं इन्हीं के माध्यम से जल आपूर्ति संभव हो पाती है ,हम सबको इस अवसर पर संकल्प लेने की जरूरत है कि पानी बचाएं,क्योंकि पानी बचाया जा सकता है परंतु पानी बनाया नही जा सकता है,मुकुंद साव ने लोगो से अपील किया है कि जल है तो कल है ,जल बचाना ही विकल्प है,चाहे नहाने धोने का हो,चाहे सिंचाई का हो पानी का खपत एकदम जरूरत भर ही किया जाए ,पानी को बेजरूरत बहाए नही,सोखता हर घर में बनाए ताकि पानी सोखता में जाए और पानी भूगर्भ में जाकर मिले तथा शुद्ध पानी में परिवर्तित हो जाए,नही तो आज पानी बोतल में मिल रहा है,कुछ दिनों के बाद पानी छोटी शीशी में मिलेगा,फिर इंजेक्शन से पानी लेकर प्यास बुझाना पड़ेगा,क्योंकि पानी बनता नही है जो भी पानी भूगर्भ में है उसे बचाना चाहिए,  समुद्र,नदी तालाब  के अस्तित्व को बचाने में सबको सहयोग करना चाहिए,गोष्ठी में पूर्णिमा देवी,रीता देवी, अनीता देवी,सरस्वती देवी,मंजू देवी,सुंदर राणा,पूनम देवी, विमला देवी,सुनीता देवी,शारदा कुमारी वर्मा,प्रतिमा देवी,बिनोद नायक संगीता देवी इत्यादि कई लोग उपस्थित थे,जिन्होंने संकल्प लिया कि पानी बचाने का हर संभव प्रयास करेंगे,और अन्य लोगो को भी प्रेरित करेंगे।

 रिपोर्टर   :   मुकेश सिंह

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