हाथरस हादसा और भगदड़ के 14 हादसे, 2135 की मौत फिर भी सबक नहीं लेता समाज
हमारे देश में धर्म का स्थान बड़ा ऊपर है और लोग धर्म के प्रति बड़े गंभीर हैं। भक्ति भाव से ईश्वर की सेवा में सबका विश्वास है और ईश्वर ही नहीं बल्कि साधु संतो को भी उतना ही सम्मान और सेवाभाव के साथ पूजा जाता है। जिसके कारण कुछ स्वंम्भू संत भी समाज में आते रहते हैं और उनका चाल चरित्र भी जनता के सामने आ ही जाता है। पर क्यों इस तरह से अचानक बने संत पर हमारे देश के लोग यकीन कर लेते हैं। जिनका इतिहास बहुत ही दूषित होता है। और ऐसे लोग कई बार बड़े बड़े हादसों के जनक भी होते हैं ऐसे ही एक स्वम्भू बाबा सूरजपाल उर्फ़ नारायण सरकार हरि उर्फ़ भोले बाबा आये हैं जिनके उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में सत्संग के दौरान लापरवाही और भगदड़ के चलते कल यानि 2 जुलाई को 121 लोगों की मौत हो गयी और 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
ये तो कल की बात हुई पर हमारे देश की आस्था पर अव्यवस्था हमेशा महँगी पड़ती है जिसकी कीमत आम लोगों को अपनी जिंदगी खोकर चुकानी पड़ती है।
पर फिर भी जनता तमाम ऐसे आयोजनों में जाती रहती है जिसमे इस तरह की वीभत्स घटनाये होती रहती हैं पर सबक कोई नहीं लेता।
हमारे देश में हादसों और भगदड़ों का इतिहास पुराना है लोग धर्म के इतने बशीभूत हो जाते हैं और अनुशासन भूल लोगों की मृत्यु का कारण तक बन जाते हैं।
पर इस वीभत्स हादसे से पहले आपको कुछ महत्वपूर्ण हादसों की जानकारी भी दे देते हैं जो भूतकाल मे लापरवाही और खौफनाफ मंजर की तस्वीर बयान करते हैं।
तो आपको बताते है ऐसे हादसों का इतिहास
आजाद भारत में पहली बार साल 1954 में कुंभ मेले का आयोजन किया गया था। यह कुंभ मेला प्रयागराज में हुआ था। इस मेले में मौनी अमावस्या के दिन बहुत खौफनाफ दिन के रूप में गुजरा उस दिन एक बड़ा हादसा हुआ। आपको बता दें कि उस दिन महाकुम्भ मेले में भयानक भगदड़ मच गई। उस समय की मीडिया की जानकारी के अनुसार भगदड़ मचने से 800 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 2000 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
हादसा 27 अगस्त 2003 का है जब महाराष्ट्र के नासिक जिले में कुंभ मेले में पवित्र स्नान के दौरान भगदड़ मच गई. इसमें 39 लोग मारे गए और 140 घायल हुए थे।
एक और बड़ा बहुत वीभत्स हादसा 25 जनवरी 2005 का है जिसमे महाराष्ट्र के सतारा जिले में मंधारदेवी मंदिर में वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 340 से अधिक श्रद्धालुओं की कुचलकर मौत हो गई और सैकड़ों लोग इसमें घायल हुए.
एक और बड़ा बहुत वीभत्स हादसा 3 अगस्त 2008 को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में नैना देवी मंदिर में चट्टान गिरने की अफवाहों के कारण भगदड़ मच गई। इस हादसे में 162 लोग मारे गए, 47 घायल हुए.
एक और डरा देने वाला हादसा 30 सितंबर, 2008 को हुआ था जिसमे राजस्थान के जोधपुर शहर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाहों के कारण भगदड़ मच गई. इसमें लगभग 250 भक्त मारे गए और 60 से अधिक घायल हुए थे।
वहीं एक हादसे में 4 मार्च, 2010 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में भगदड़ में लगभग 63 लोग मारे गए. लोग स्वयंभू भगवान से मुफ्त कपड़े और भोजन लेने के लिए एकत्र हुए थे जिसमे भगदड़ के चलते हादसा हो गया।
बड़े हादसों में शुमार 14 जनवरी सन 2011 को केरल के इडुक्की जिले के पुलमेडु में एक जीप से घर जा रहे तीर्थयात्रियों से टकराने से भगदड़ मच गई. इसमें 104 सबरीमाला भक्त मारे गए और 40 से अधिक घायल हुए थे।
देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध हरिद्वार में 8 नवंबर सन 2011 को गंगा नदी के किनारे हर-की-पौड़ी घाट पर अचानक से भगदड़ मची. इसमें 20 लोग मारे गए थे।
एक अन्य हादसा जिसमे 19 नवंबर सन 2012 को पटना में गंगा नदी के किनारे अदालत घाट पर छठ पूजा के दौरान एक अस्थायी पुल के ढह जाने से भगदड़ मच गई। इसमें करीब 20 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए.
एक और बड़ा हादसा जिसमे प्रयागराज में संगम तट पर वर्ष 2013 के कुंभ मेला के दौरान 10 फरवरी दिन रविवार को मौनी अमावस्या का स्नान था। स्नान-दान करने के बाद श्रद्धालु अपने घर जाने के लिए रेलवे स्टेशनों व बस अड्डों पर पहुंच रहे थे। प्रयागराज जंक्शन (इलाहाबाद) पर बड़ी संख्या में यात्री पहुंच चुके थे। सभी प्लेटफार्म ठसाठस भरे हुए थे। ओवरब्रिजों पर भी भारी भीड़ थी। शाम के सात बज रहे थे तभी प्लेटफार्म छह की ओर जाने वाली फुट ओवरब्रिज की सीढिय़ों पर अचानक भगदड़ मची। धक्का-मुक्की में कई लोग ओवरब्रिज से नीचे जा गिरे जबकि कई लोगों को भीड़ ने कुचल दिया। कुचलने और गिरने से 35 लोगों की मौत हो गई थी जबकि दर्जनों लोग घायल हुए थे जिनका अस्पताल में कई दिनों तक इलाज चला था।
हादसा 13 अक्टूबर सन 2013 को मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ मंदिर के पास नवरात्रि उत्सव के दौरान भगदड़ मची. इसमें 115 लोग मारे गए और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
हादसा 3 अक्टूबर सन 2014 को दशहरा समारोह समाप्त होने के तुरंत बाद पटना के गांधी मैदान में भगदड़ मची और इस हादसे में 32 लोगों की मौत हो गई और 26 अन्य घायल हो गए।
हादसा 14 जुलाई सन 2015 का है जिसमे आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में ‘पुष्करम’ उत्सव के पहले दिन गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्नान स्थल पर भगदड़ मची. इसमें 27 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए.
कभी न भूलने वाली रात 19 अक्टूबर 2018 की जिसमे अमृतसर के जोड़ा फाटक के समीप तमाम नियमो को अनदेखा कर रावण का पुतला दहन देख रहे लोगों को तेज रफ्तार ट्रेन ने कुचल दिया था। जिसके चलते 60 लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी थी।
हादसा 1 जनवरी सन 2022 का है जब जम्मू-कश्मीर में प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची. इस भगदड़ में 12 लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक घायल हो गए.
जिसमे 31 मार्च 2023 को इंदौर शहर के एक मंदिर में रामनवमी पर आयोजित हवन कार्यक्रम के दौरान एक प्राचीन बावड़ी के ऊपर बनी स्लैब के ढह जाने से 36 लोगों की मौत हो गई.
अब इसके बाद आपके सामने हाथरस का भगदड़ कांड सामने है जिसमे एक कथित और स्वम्भू संत गुरु द्वारा प्रवचन के माध्यम के चलते भगदड़ मचने के चलते बड़ा हादसा हो गया जिसमे 121 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी। जिसमे आयोजको के खिलाफ तो मुक़दमा दर्ज कर कार्यवाही की जा रही है पर उस कथित बाबा के खिलाफ कब कार्यवाही होगी ये भी एक बड़ा और महत्वपूर्ण सवाल है। क्योंकि हादसे के बाद जब मृतकों के परिजन विलख रहे थे तो बाबा फरार हो चुका था। बाबा के सेवादारों की फ़ौज तो बारह हज़ार थी पर जनता यानि प्रवचन सुनने आये लोग ढ़ाई लाख थे जबकि अनुमति 80000 हज़ार लोगों की ली गयी थी। पर जब भीड़ तीन गुना हो गयी थी तो इसकी जानकारी लोकल इंटेलिजेंस और प्रशासन को क्यों नहीं हुई। जबकि इतना बड़ा आयोजन और उच्च अधिकारीयों को पता ही नहीं ये कैसे संभव है।
या किसी सफेदपोश के चलते दवाव आ गया था जिससे कार्यवाही न हो क्योंकि ये भी कहा जा रहा है कि ये स्वम्भू भोले बाबा उर्फ़ हरि बाबा के राजनैतिक संपर्क बड़े मजबूत थे। जिसका उदहारण ये है कि आयोजकों के खिलाफ तो एफआईआर हुई है पर कथित संत भोले बाबा उर्फ़ हरि बाबा को उसमे नामजद नहीं किया गया है. अब आने वाले समय में जाँच होगी कार्यवाही होगी अपर उन लोगों का क्या जिनकी जिंदगी इस हादसे के चलते चली गयी न जाने कितने परिवार बेघर हो गए। कितने बच्चे अनाथ हो गए और न जाने कितने माँ बाप बेऔलाद हो गए। पर इस पूरी घटना में अगर बाबा और उसके साथी कसूरबार है तो कसूरबार हमारा सिस्टम भी यही हमारा प्रशासन भी है तो वो सरकारे भी जिम्मेदार है जिनके नाक के नीचे ऐसे कथित और फर्जी बाबा पनपते रहते हैं। और ऐसा केवल एक बाबा ही नहीं कई बाबा ऐसे हैं जिन पर कार्यवाही हो चुकी है और न जाने कितने अभी भी भोलीभाली जनता को ठगते नज़र आ रहे हैं। और राजनीति से सम्बन्धो की बात तो तमाम बड़े नाम के साथ फोटो सोशल मीडिया पर मिल ही जायगी। अब गौर करने वाली बात है कि क्या हमारे देश के लोग हादसों से कोई सबक लेंगे या हमारा सिस्टम इन घटनाओ से कोई सबक लेगा पता नहीं पर यहाँ आम जनता को समझना होगा कि अगर ऐसे किसी आयोजन में जाना है तो खुद के भरोसे जाना है न कि प्रशासन के भरोसे। क्योंकि हमारा प्रशासन केवल घटना घट जाने के बाद की कार्यवाही में तो सक्षम है पर घटना घटने से रोकने का उनके पास न जज्बा है न ही नीयत
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