जानें कब है होलाष्टक में भूलकर भी न करें , ये काम

रंगो का त्यौहार होली आने वाली है , यह पुरे देश में बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाई जाती है।  होली के आठ दिन पूर्व होलाष्टक लग जाता है। यह फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक के समय को होलाष्टक कहते है और आप को बता दे होलाष्टक इस वर्ष 10 मार्च से लग रहा है. फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि तड़के 02:56 बजे से लग जाएगी. होलिका दहन 17 मार्च को की जाएगी और होलाष्टक का अंत भी इसी दिन के साथ हो जाएगा. मान्यता है कि होलाष्टर में किए गए शुभ कार्यों का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है.

होलाष्टक का विशेष महत्व है

होलाष्टक का विशेष महत्व है क्योकि इस काल के दौरान सभी प्रकार के शुभ कामों में रोक लग जाती है, ऐसा माना जाता है कि इस काल में किया गया कार्य अशुभ फलदायी होगा| इसलिए इस काल में हर प्रकार के शुभ कार्य वर्जित है|   होलाष्टक के आते ही होली के त्यौहार का आगाज हो जाता है| होलाष्टक के पहले दिन यानि फाल्गुन मास की अष्टमी को होलिका दहन के स्थान पर गंगाजल छिड़क कर वहां पर सूखे उपले, सुखी घास और होलिका दहन के लिए दो डंडे स्थापित किये जाते है| इसमें से एक को होलिका तथा दूसरे को प्रह्लाद माना जाता है| समान्यता होलिका चौराहों पर ही जलाई जाती है| होलाष्टक के दिन से होलिका दहन तक प्रतिदिन इसमें कुछ न कुछ लकड़िया डाली जाती है| ऐसा माना जाता है कि जिस भी क्षेत्र में होलिका दहन के लिए डंडा स्थापित हो जाता है उस क्षेत्र में होलिका दहन तक शुभ कार्य करना निषेध हो जाता है, अन्यथा अमंगल परिणाम मिलता है|

अनुशासित दैनिक दिनचर्या का पालन करें

मान्यता है कि खरमास और होलाष्टक में मौसम में काफी परिवर्तन होता है. इस दौरान सूर्य की गति भी प्रभावित होने लगती है, जिसका प्रभाव सेहत पर भी दिखाई देता है. वर्तमान समय में कोरोना के दूसरे चरण की लहर देखी जा रहा है. इसलिए होलाष्टक में अधिक सतर्कता और ध्यान देने की जरूरत है. मौसम में होने वाला परिवर्तन सेहत को प्रभावित न करे, इसके लिए जीवनशैली को अनुशासित बनाना चाहिए. रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने का प्रयास करना चाहिए.

खानपान पर ध्यान देना चाहिए

होलाष्टक के दौरान खानपान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए. संतुलित और पौष्टिक आहार लेना चाहिए. समय पर भोजन करना चाहिए और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. मांस, मंदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.

भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए

होलाष्टक में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही यदि जीवन में दिक्कतें बनी हुई हैं, तो नरसिंह भगवान की पूजा और इस मंत्र का जाप करना चाहिए

 

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