भारत का ये गांव है विधवा

भारत में कई ऐसी जगह है जिनकी अपनी अपनी पहचान है , भारत का हर एक स्थान अपनी अलग पहचान से मशहूर है , लेकिन भारत में ऐसी भी जगाहें है , जो श्रापित है , जिनकी अपनी काली सच्चाई है , एक ऐसी ही श्रापित जगह के बारे में हम आपकों बताने जा रहें है , जहां कोई भी व्यक्ति कभी शादी शुदा नही रह सकता है , बता दें इस जगह की हर एक औरत विधवा है , क्योंकि है विधवा गांव .. 


भारत जहां शादियों का विशेष महत्व है , साथ ही इन शादियों से जुड़े कई नियम भी है , और ये नियम ही है जो भारत की शादियों को दूसरी जगाहों की शादियों से अलग बनाते है , भारत में एक शादी शुदा महिला की जिंदगी एक आम महिला  की जिंदगी से कई अलग होती है , यहीं नही यहां उस महिला की जिंदगी भी सबसे अलग होती है , जिसके आगे पीछे पति का साया न हो जिसे हम विधवा भी कहते है , लेकिन आज हम आपकों एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे है , जहां की हर औरत विधवा है , कई लोग इस गांव को श्रापित भी कहते है , लेकिन इसकी सच्चाई कुछ औऱ है , हम आपकों जिस गांव के बारे में बता रहे है , ये गांव बना है राजस्थान के बूंदी  में जिसका नाम है  बुधपुरा गांव  इस गांव को  विधवाओं का गांव भी कहा जाता है.  क्योंकि इस गांव में रहने वाली ज्यादातर महिलाएं विधवा हैं. चूंकि, शादी के कुछ ही समय बाद इनके पतियों की मौत हो जाती है, ऐसे में ज्यादातर के पास अपने छोटे से बच्चे को पलने की बड़ी जिम्मेदारी भी होती है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इनके पति की मौत कैसे हो जाती है?  दरसल इस गांव में रहने वाले अधिकतर मर्द खदानों में काम करते हैं. इसके अंदर काम करने वालों को सिलिकोसिस नाम की एक   बीमारी हो जाती है. और समय पर सही इलाज ना मिल पाने की वजह से इनकी मौत हो जाती है.गांव की ज्यादातर विधवा महिलाओं को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिलती. ऐसे में अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए ये भी उसी खदान में काम करने को मजबूर होती हैं. इन खदानों में कई-कई घंटे बलुआ पत्थरों को तोड़ने का काम किया जाता है. इन पत्थरों को तराशने के दौरान जो डस्ट निकलता है, वो मजदूरों के फेंफड़ों में संक्रमण कर देता है. अगर इलाज हो गया तो उनकी जान बच जाती है. वरना मौत तय है.

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