टहरौली क्षेत्र में जल संरक्षण के लिये इक्रीसैट ने किये दर्जनों कार्य

झांसी :   किसानों की आय में बृद्धि करने के उद्देश्य से सूखा प्रभावित  टहरौली क्षेत्र के 40 ग्रामों में कृषि विभाग उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत कृषि सम्बन्धी समग्र विकास हेतु इक्रीसैट द्वारा एक परियोजना लाई गई थी। परियोजना का उद्देश्य प्रभावित क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा बर्षा जल को संरक्षित करना है ताकि जलस्तर में बृद्धि की जा सके। जिससे किसानों को पर्याप्त जल की उपलब्धता बनी रहे और किसान की आय दोगुनी हो सके। प्रदेश सरकार में मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, सांसद अनुराग शर्मा एवं राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा के प्रयाश से 33.56 करोड़ की लागत की इस परियोजना का यह दूसरा बर्ष है। पिछले बर्ष ग्राम भड़ोखर में हवेली व्यवस्था का निर्माण किया गया था जिसे करीब 6 देशों के शोधकर्ताओं सहित वैज्ञानिकों द्वारा मौके पर जा कर देखा गया है। योजना के प्रथम बर्ष में भड़ोखर के अलावा ग्राम बमनुआ, पसराई, नोटा, लौंडी आदि सहित करीब 15 ग्रामों में जल संरक्षण, फसल प्रदर्शन एवं कृषि बानकी सम्बन्धी कार्य किया गया था। इस बर्ष रवि की फसल समाप्ति के उपरांत ग्राम टहरौली, ताई, गुंदाहा, सिलोरी, ढुरबई, धवारी, रनयारा, घुरैया, बघेरा, हाटी, बघौरा आदि ग्रामों में नाला गहरीकरण, हवेली निर्माण, मेडबंदी एवं पक्के जल निकास आदि तमाम कार्य किये जा रहे हैं। जिनमें से कुछ कार्य पूरे हो चुके हैं उनमें से 12 हवेली संरचनाएं, 10 बड़े समुदाय तालाबों का जीर्णोद्वार/नवीनीकरण, लगभग 25 किलोमीटर नाले का गहरीकरण एवं चौड़ीकरण आदि प्रमुख कार्य हैं। इन सभी कार्यों में करीब 30 लाख घन मीटर से अधिक जल संरक्षित किया जा सकेगा। इसके साथ ही खतों में मेड़बन्दी का कार्य भी चल रहा है जो कि अधिक बर्षा जल को खेत मे ही संचयित करती है और मिट्टी के कटाव को रोकती है। अब तक क्षेत्र में करीब 300 हेक्टेयर क्षेत्र में मेड़बन्दी का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। खेतों पर पक्के जल निकास हेतु सर्पल्स संरचनाओं का भी निर्माण किया गया है।   यूनाइटेड नेशन की संस्था द्वारा ऐसे कार्य तमाम प्रकार के वैज्ञानिक विश्लेषण करके किये जाते हैं ताकि इसके दूरगामी परिणाम आ सकें। इस कार्य में वैज्ञानिकों की एक बड़ी कुशल टीम पीछे से लगी हुई है जो हैदराबाद इक्रीसैट के हेडऑफिस में बैठ कर सैटेलाइट और तमाम प्रकार के उपकरणों के माध्यम से सटीक और प्रमाणिक कार्य कर रही है। इस योजना को धरातल पर लाने में ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ एम एल जाट, डॉ रमेश सिंह ( क्लस्टर लीडर एवं प्रधान वैज्ञानिक ), डॉ कौशल गर्ग, डॉ अनंता, डॉ वैंकट राधा, राजेन्द्र सिंह, अशोक शुक्ला, ललित पटेल, ई०दीपक त्रिपाठी, शिशुवेन्द्र सिंह, सुनील निरंजन, ललित किशोर आदि का विशेष योगदान है। 

रिपोर्टर : अंकित साहू

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