गांव में एक और दो रुपये का सिक्का हुआ खोटा

हज़ारीबाग/पदमा:  छोटे सिक्के बने परेशानी का सबब, व्यापारी व ग्राहकों में होता रहता है विवाद। चाहे वह किराना दुकान हो या फिर ऑटो का किराया या फिर सब्जी बाजार, कहीं भी एक और दो रुपये के सिक्के की गुजर बसर नहीं है। एक और दो रुपये का सिक्का लोगों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। खासकर एक रुपये का सिक्का तो देखते ही लोग मुंह फेर ले रहे हैं। हर जगह की तस्वीर एक जैसी बनी हुई है। सब्जी बाजार में भी एक रुपये का सिक्का लेने से विक्रेता परहेज कर रहे हैं। पेट्रोल पंप और किराना दुकानों का भी यही हाल है। यह कोई नया मसला नहीं है। करीब तीन साल से यह समस्या बनी हुई है। ज्यादा हाव् हल्ला करने पर दो चार रुपये ले लिए जाते है। वहीं इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है की जब वे पेट्रोल पंप जाते है ,तो पेट्रोल पंप के कर्मियों का कहना है कि सिक्का अगर एक हजार रुपये का हो जाता है तो बैंक में जमा ही नहीं लेते हैं। और बैंक कर्मी कहते हैं कि कौन गिनती करेगा। समय नहीं है।

किराना दुकानदारों का भी यही कहना है कि न तो थोक मंडी में सिक्का लिया जा रहा है। और  न ही बैंक में, हम कितना जमा करेंगे। सब्जी मंडियों में भी विक्रेता सिक्का से परहेज करते देखे जा रहे हैं।  क्योंकि अगर लोगो के घरो में सैकड़ों रुपये के सिक्के रखे पड़े हैं। तो वह बेकार पड़े है इन पैसो का बाजारों में कोई महत्व नही।

संवानदाता : परमानंद कुमार राणा

 

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