करमा पूजा पर्यावरण संतुलन का मूलमंत्र है- मुकुंद साव
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चौपारण: प्रखंड करमा प्रकृति की अराधना का पर्व है,आज जब प्रकृति पर्यावरण असंतुलन के कारण मानवता संकट में पड़ती दिख रही है,ऐसे समय में करमा जैसे प्राकृतिक पर्वों की महता बढ़ जाती है,हमारे पूर्वजों ने जब प्रकृति को प्रमेशवर का प्रतिरूप मानकर उसकी पूजा अर्चना प्रारंभ की, तब उसके पीछे एक सुचिंतित दर्शन था,एक वैज्ञानिक चेतना थी,यह स्पष्ट समझ थी कि समस्त जीव जगत एवम वनस्पति जगत के साथ सामंजस्य ही जीव मंडल में संतुलन रख पाएगा!
हमारे पूर्वजों ने सात्विक भावना से बृक्षो के समूह को ईश्वर माना और नदियों को मां कहकर पुकारा, आज उनकीउन भावनाओ की पुन:प्रतिष्ठा का संकल्प ले,यह पर्यावरण संतुलन का मूल मंत्र है,उक्त बातें प्राकृतिक पर्व करमा के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण मंच के हजारीबाग जिला संयोजक सह सांसद प्रतिनिधि मुकुंद साव ने तमाम झारखंड वासियों के नाम करमा पर्व की शुभकामना संदेश में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा,श्री साव ने कहा कि इस मौके पर लोग प्रकृति की पूजा कर अच्छे फसल की कामना करते है,साथ ही बहने अपने भाइयों की सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करती है,मुकुंद साव ने कहा कि यह त्योहार भादो महीना का शुक्ल पक्ष का एकादशी को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है,इस पर्व के अवसर पर सबको संकल्प लेने की जरूरत है कि पर्यावरण की संतुलन को बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक संख्या में पेड़ पौधे लगाए,ताकि आने वाला भविष्य सुरक्षित रहे:!
रिपोर्ट: मुकेश सिंह
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