भूदान आंदोलन के सूत्रधार थे आचार्य विनोबा भावे -मुकुंद साव

चौपारण : हजारीबाग भूदान आंदोलन के सूत्रधार,स्वतंत्रता सेनानी व समाजसेवक भारत रत्न आचार्य विनोबा भावे की आज 127वी जयंती पूरा विश्व मना रहा है,,उक्त बाते संत विनोबा भावे जी की जयंती के अवसर पर शिक्षाविद सह सांसद प्रतिनिधि मुकुंद साव ने कहा, उन्होंने बताया कि 11सितंबर 1895 ई मे महाराष्ट्र के कोलाबा जिले में विनोबा जी का जन्म हुआ था,उनका बचपन का नाम विनायक नरहरी भावे था,जो आगे चलकर विनोबा भावे हो गया था,अहिंसा और मानवाधिकारों की वकालत करने वाला विनोबा जी को आचार्य की उपाधि मिली थी।

स्वतंत्रता संग्राम में विनोबा जी महात्मा गांधी के साथ थे,मुकुंद साव ने बताया कि विनोबा जी को उनके भूदान आंदोलन की वजह से विशेष रूप से जाना जाता है,उन्होंने तेलंगाना के नालगोंडा जिले से 18अप्रैल1951को विनोबा जी ने इसकी शुरुआत की थी,इस आंदोलन में वे जमीन के मालिकों से दान के तौर पर जमीन लेकर गरीब लोगो को खेती करने के लिए देते थे,1958में अंतरराष्ट्रीय मैग्सेसे पुरस्कार पाने वाले विनोबा भावे पहले व्यक्ति थे, आध्यात्मिक विचार धारा वाले विनोबा भावे का आखिरी समय महाराष्ट्र के वर्धा जिले में पौनार के एक आश्रम में बीता था,15नवंबर 1982को उनका निधन हो गया था,मरणोपरांत 1985में उन्हे भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

जयंती पर याद किए गए संत विनोबा भावे भूदान आंदोलन, अहिंसा और मानवाधिकार जैसे कार्यों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे, आज संपूर्ण विश्व उन्हे पुष्पांजलि अर्पित कर रहा है।

 

रिपोर्टर : मुकेश सिंह 

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