झारखंड में विकास कार्य शून्य

चौपारण : प्रखंड झारखंड को अलग हुए 22 वर्ष हो गए,इस 22 वर्षो  अब तक कुल 11 मुख्य मंत्री बने,3 बार राष्ट्रपति शासन रहा,एक बार निर्दलीय मुख्यमंत्री बने,5 बार भाजपा का शासन रहा जिसमे 28 महीना बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री रहे,3बार अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री  जिसमे कुल 6 वर्ष शासन किए,फिर रघुवर दास बने जो 5 वर्षो तक राज किया कुल 13 वर्ष एनडीए का राज रहा।

वही साढ़े सात साल यूपीए का शासन रहा और 3 बार राष्ट्रपति शासन रहा जिसमे 20 माह बीता,उक्त बाते आज एक राजनीतिक परिचर्चा में प्रथम सूचना अधिकार प्रतिष्ठान झारखंड प्रदेश के संयोजक,और उपभोक्ता अधिकार संरक्षण समिति के हजारीबाग जिला संयोजक, सांसद प्रतिनिधि मुकुंद साव ने कहा,उन्होंने कहा कि यह झारखंड का दुर्भाग्य रहा कि 22 वर्षो में 3 बार राष्ट्रपति शासन,एक बार निर्दलीय मुख्यमंत्री,और  11 बार मुख्यमंत्री बदले,,22 वर्षो में बहुमत का शासन सिर्फ रघुबर दास का रहा जिसमे झारखंड में बड़े पैमाने पर विकास कार्य हुए,बाकी अभी तक कार्यकाल पूरा करने वाला मुख्यमंत्री कोई नहीं बन पाए,झारखंड का विकास इसी में नही हुआ,अभी वर्तमान यूपीए की हेमंत सरकार का कार्यकाल विवाद में ही चल रहा है।

विवाद का क्या कारण है ये संपूर्ण झारखंड वासी जानते है ,मुकुंद साव ने कहा कि एक पार्टी विशेष का ध्येय रहा है कि जिनके साथ वो सटा,उसको बर्बाद कर दिया ,चाहे वह अखिलेश यादव  हो,मायावती हो, या उधव ठाकरे हो,सब बर्बाद हुए,वही हाल हेमंत सरकार का और नीतीश सरकार का निकट भविष्य में होने वाला है,मुकुंद साव ने सभी मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल विस्तार रूप से बताया,कहा कि झारखंड का प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी 15 नवंबर को शपथ लिए,18 मार्च 2003 को सहयोगी पार्टी जदयू के कारण कुर्सी छोड़नी पड़ी,18 मार्च 2003 को अर्जुन मुंडा बने जो 02 मार्च 2005 तक रहे फिर झारखंड विधान सभा का प्रथम चुनाव हुआ, एनडीए को बहुमत नहीं मिला,तो यूपीए से शिबू सोरेन 03 मार्च 2005 को मुखमंत्री बने लेकिन मात्र 9 दिन में ही 12 मार्च 2005 को उन्हें कुर्सी छोड़नी पडी।

फिर एक बार13 मार्च 2005 को अर्जुन मुंडा को सता मिला लेकिन 18 सितंबर 2006 में ही उनके हाथ से सता चली गई और यूपीए के लोगो ने एक निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को 19 सितंबर 2006 को सता  थमा दी,लेकिन शिबू सोरेन चुप बैठने वाले नही थे,उन्हे सता चाहिए था तो 28 अगस्त2008 को मधु कोड़ा को अपदस्थ कर स्वयं 29 सितंबर 2008 को मुख्यमंत्री बन गए,लेकिन उनकी सता की गाड़ी बहुत दिन तक नही चल पाई,4 महीने में ही 18 जनवरी 2009 को कुर्सी छोड़ देना पड़ा क्योंकि वो बहुमत साबित नही कर सके,,19 जनवरी 2009 को पहली बार झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगा,जो एक साल रहा 29 दिसंबर 2009 तक रहा।

इसी बीच झारखंड विधान सभा का दूसरा चुनाव हुआ,और  फिर एक बार शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने लेकिन कुर्सी छोड़ देनी पड़ी,और झारखंड में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लगा,11सितंबर 2010 को अर्जुन मुंडा तीसरी बार सत्ता संभाले पर 18 जनवरी2013 को कुर्सी छोड़ना पड़ा और झारखंड में तीसरा बार राष्ट्रपति शासन लगा,14 जुलाई 2013 को पहली बार हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बने जो 27 दिसंबर तक रहे लेकिन झारखंड की तीसरी विधान सभा में यूपीए बुरी तरह पराजित हो गई,और एनडीए की बहुमत की सरकार बनी28 दिसंबर 2014 को रघुवर दास बहुमत की सरकार बनाकर झारखंड की विकास की गाड़ी तेजी से बढ़ाई।

परंतु 2019 के चुनाव में फिर से झारखंड एक बार हेमंत सोरेन को स्वीकार किया और29 दिसंबर को दूसरी बार ग्यारहवें मुख्यमंत्री के रूप में सरकार बनाई,जो अब तक चल रहा है विवाद और तनाव में यह सरकार चल रही है अब देखना है कि बाकी बचे दो वर्षो में झारखंड की विकास की गाड़ी कैसी चलती है,मुकुंद साव ने आम जनमानस से निवेदन किया है की जिनकी भी सरकार बनाए बहुमत की सरकार बनाए ताकि झारखंड का भला ही सके।

 

रिपोर्टर : मुकेश सिंह

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.