रजहारा कोलियरी में नहीं शुरू हुआ खनन, यथावत बनी हुई है पूर्व की स्थिति :-किशोर
पलामू - अभिभावक संघ के प्रदेश अध्यक्ष व सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता किशोर कुमार पांडेय ने रविवार को राजहरा कोलयरी का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि देश का सबसे पुराना और एशिया में सर्वोत्तम क्वालिटी के कोयले उत्पादन के लिए मशहूर रहा राजहरा कोलियरी आज अपनी स्थिति पर आठ - आठ आंसू बहा रहा है। हालांकि बन्द पड़े खादान को पुनः चालू कराने के लिए काफी प्रयास किया गया है वावजूद अभीतक कोई सफलता नहीं मिली है जिसके कारण लोगों में निराशा व्याप्त है।
श्री पांडेय ने कहा कि राजहरा कोलियरी पलामू का लाइफलाइन (Lifeline) माना जाता है। इसकी शुरुआत ब्रिटिश शासनकाल 1842 में बंगाल कोल कंपनी ने किया था। आजादी के बाद 1969 में इसका सरकारीकरण हुआ था। यहां के खदानों में एशिया का गुणवत्तापूर्ण कोयला पाया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, राजहरा कोलियरी की परिधि में कोयले की अकूत भंडार है। इसके सर्वे के बाद जो रिपोर्ट दी गयी है उसमें यह कहा गया है कि यदि निरंतर भी कोयले का उत्खनन किया जाय तो 50 साल तक कोयले की कमी नहीं रहेगी। वहां मौजूदा संसाधन से प्रतिवर्ष 0.75 मिलियन टन उत्पादन किया जा सकता है। वावजूद पिछले 13 वर्षों से उक्त कोयलरी में उत्पादन ठप है। इससे जुड़े हजारों लोग आज भी बेरोजगारी की दंश झेल रहे हैं। प्रशासनिक व जनप्रतिनिधियों के रवैया से स्थानीय लोगों में घोर निराशा हैं। राजनीतिक दल के नेताओं के आश्वासन व वायदे से अबतक लोगों की काने पक चुकी है। अबतक इतने वायदे और घोषणा के वावजूद कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है।
श्री पांडेय ने कहा कि राजहरा कोलियरी में दोबारा उत्पादन शुरू होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 15 से 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। साथ ही पलामू के आर्थिक विकास में भी यह कोलयरी काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। इतना ही नहीं राजहरा कोलियरी पलामू जिले का एकमात्र सरकारी कोलियरी उपक्रम है। उन्होंने उक्त कोयलरी को पुनः चालू कराने की मांग की है ताकि बेरोजगारों को भी रोजगार उपलब्ध हो सके और क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो सके।
रिपोर्ट - मिथिलेश विश्वकर्मा
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