थाली से गायब हुईं सब्जियां: टमाटर ने छुड़ाए पसीने, बैगन-भिंडी को भी लगी महंगाई की नजर सेब के भाव में टमाटर

लातेहार जिले में बढ़ती  सब्जी की महंगाई में गरीबों को परेशान कर दिया लातेहार जिले  के चंदवा प्रखंड हो या मनिका प्रखंड हेरंज प्रखंड  बालूमाथ गारू प्रखंड बरवाडीह प्रखंड महुआडार प्रखंड   सब्जी की बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की क़मर  तोड़ के रख दिया है। लाल लाल टमाटर की बढ़ती महंगाई ने सब्जी का  जायका बिगाड़ कर रख दिया । है  सेब  के भाव जा रहे हैं टमाटर के दाम गरीब तो सब्जी में टमाटर डालना ही छोड़ दिया है।बारिश के मौसम की शुरुआत के साथ अब हरी सब्जियों के भाव भी आसमान छू रहे हैं। सब्जी की दुकानों पर सब्जी के भाव 60 से 100 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। ऐसे में अब मध्यम वर्ग के लोगों के घरों का बजट गड़बड़ा रहा है वहीं गरीबों के थाली से सब्जी दूर हो रही है।महंगाई के कारण कई घरों में दाल बनना बंद हो गया है। वहीं आमजनों की थाली से हरी सब्जियां के साथ आलू-प्याज भी दूर होती जा रही है। दाल के साथ-साथ हरी सब्जियां व आलू-प्याज भी महंगे हो गए हैं। टमाटर जहां 100 से 80 रुपए किलो बिक रहा है वहीं आलू-प्याज का भाव 40 रुपए प्रति किलो है। इस साल आलू पहली बार इतना महंगा हुआ है।  वहीं हरी सब्जियों की बात करें तो कोई भी सब्जी 60 रुपए से 100 रुपए से  कम नहीं है। परवल 60 रुपए किलो बिक रहा है। हरी मिर्च150 व धनियापत्ती के भाव भी  300 पर हैं। लहसुन 300 पर महंगाई  बढऩे से लोगों की रसोई का स्वाद बिगड़ रहा है। अरहल दाल का भाव 180 के करीब है। दाल महंगी होने के कारण आम लोगों की थाली से दूर हो गया है। वहीं मानसून शुरू होते ही हरी सब्जियां भी महंगी हो गईं है एक माह के अंदर सब्जियों के भाव में दोगुना वृद्धि हुई है। बारिश शुरू होते ही सब्जियों के उत्पादन में कमी आने के कारण कीमत आसमान छू रही है।

आलू-प्याज भी महंगे होने से बढ़ी परेशानी
पिछले कुछ दिनों तक आलू-प्याज 15-20 रुपए प्रति किलो था। अचानक आलू-प्याज के भाव में भी वृद्धि हुई है। आलू-प्याज 40-50 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। इस साल आलू पहली बार इतना महंगा हुआ है। जबकि आलू व प्याज आम लोगों के लिए सस्ती सब्जी माना जाता है।इससे आम लोगों को आलू-प्याज की खरीदारी भी परेशान कर रही है। अभी आगामी दिनों में भी यही भाव रहने के आसार हैं।


होटल कारोबारियों की बढ़ी मुश्किल

क्या कहते है होटल कारोबारी प्रतीक साहू

बारिश में देरी के कारण राज्यों में फसलों को नुकसान है, जिससे सब्जियों की कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं। लौकी, फूलगोभी और पत्तागोभी जैसी सब्जियां भी काफी महंगी हो गई हैं। यह महंगाई होटल मालिक और कैटरिंग कारोबार से जुड़े लोगों के लिए भी सिरदर्द बन गई है। अतिरिक्त लागत की भरपाई के लिए वे कीमतें बढ़ाने के साथ प्याज, टमाटर और अन्य महंगी सब्जियों के बिना काम चलाने पर विचार कर रहे हैं। विगत। 

क्या कहते है। रेस्टोरेंट के संचालक सौरभ श्रीवास्तव

पच्चीस वर्षों से  चंदवा के प्रतिष्ठित मुस्कान रेस्टोरेंट के संचालक सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि आसमान छूती सब्ज़ियों और अन्य खाद्यान्नों की क़ीमतों के कारण रेस्टोरेंट कारोबार का मुनाफ़ा काफ़ी कम हो गया है।  बचत कम होने के कारण रेस्टोरेंट के रोज़मर्रा के खर्च जैसे कर्मचारियों का वेतन, रखरखाव, आदि प्रभावित हो रहा है। अगर मज़बूरन खाने की वस्तुओं के मूल्य बढ़ाये जायें तो विक्री पर असर पड़ेगा और ग्राहक असन्तुष्ठ हो जाएँगे इससे व्यापार के कम हो जाने का भी ख़तरा है और प्रतिष्ठान के छवि पर भी विपरीत असर पड़ेगा।कुल मिलाकर रेस्टोरेंट व्यवसाय के लोगों के लिए आगे कुआँ पीछे खाई वाली स्थिति हो गई है और खाद्य सामग्रियों और सब्ज़ियों के बेहिसाब क़ीमतों को क़ाबू में रखने पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।

क्या कहते हैं सब्जी विक्रेता गुड्डू साव

आगे थोक बाजार में ही सब्जियां महंगी हैं। ऐसे में ऊंचे दाम पर तो बिकेंगे ही। हर तरह की सब्जी आगे मंडी से ही ऊंचे दामों पे आ रहे है। सब्जियां महंगी होने से ग्राहक भी पाव भर लेके जा रहे है जो आधा किलो लेते थे उनका भी वही हाल है और जो एक किलो लेते थे उनका भी वही हाल है ।

क्या कहते है। मध्यम वर्ग परिवार के मुखिया बब्लू खान
अब 500 रुपए में भी सब्जियों से झोला भरना मुश्किल इन दिनों हरी सब्जी खरीदना गरीब के बस की बात ही नहीं रह गयी है। हमारी थाली से तो हरी सब्जियां गायब हो गयी हैं। हम मध्य वर्ग के लोग  भी किलो नहीं बल्कि 100 या 200 ग्राम के वजन में खरीदने को विवश हैं। ऐसे में क्या खाया जाए। बाजार में इन दिनों कोई ऐसी सब्जी बची नहीं जिसे कहा जाए कि यह सस्ता है।

 

रिपोर्टर : बब्लू खान

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