जिलाधिकारी अरविन्द कुमार वर्मा ने सघन दस्त नियंत्रण कार्यक्रम का किया शुभारंभ

मधुबनी : 1 जून से 15 जून तक चलेगा सघन दस्त नियंत्रण पखवारा। जिलाधिकारी अरविन्द कुमार वर्मा द्वारा जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का शुभारंभ सदर अस्पताल मधुबनी में आयोजित सादे समारोह में फीता काटकर किया गया। मौके पर जिलाधिकारी ने कहा कि जिले के बच्चों के हित में यह पखवाड़ा अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दूषित पानी पीने या दूषित भोजन करने से यह तेजी से फैलता है। ऐसे में साफ पानी का सेवन करें और पकाए गए भोजन को ढक कर रखें।

साथ ही, उन्होंने शौचालय के इस्तेमाल की आवश्यकता पर बल दिया। छोटे छोटे बच्चों में बिना हाथ धोए किसी भोज्य पदार्थ के मुंह में डाल लेने की आदत के बारे में बात करते हुए जिलाधिकारी ने  भोजन से पूर्व हाथ धोने की आदत विकसित किए जाने पर जोर दिया। इसमें विद्यालय की भूमिका को उन्होंने महत्वपूर्ण बताता और चेतना सत्रों में इसपर लगातार इसके जिक्र किए जाने की आवश्यकता जताई।

इस अवसर पर उन्होंने सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा को सफल बनाने में आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी सेविका/ सहायिकाओं, शिक्षकों, जीविका दीदियों और सभी अभिभावकों का आह्वान भी किया।बताते चलें कि जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन 1 जून से 15 जून 2023 तक किया जा रहा है। इस दौरान जिले के सभी 21 प्रखंडों के आकलित 1080561 घरों में आकलित 784197 पांच वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के बीच ओ आर एस का पैकेट और जिंक टैबलेट का वितरण किया जाएगा। गौरतलब है कि पांच वर्ष से कम आयुवर्ग के सभी बच्चों को एक पैकेट ओ आर एस का पैकेट अनिवार्य रूप से दिया जाएगा। जिन बच्चों में दस्त की समस्या देखी जाएगी उन्हें दो पैकेट ओ आर एस और जिंक की 14 गोली दी जाएगी।

विस्तृत जानकारी देते हुए अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, डॉ आर के सिंह ने बताया कि कि यदि दस्त में मल से ज्यादा पानी की मात्रा हो और 24 घंटे में 3 से ज्यादा दस्त हो जाए तो हमें सावधान हो जाना चाहिए। ओआरएस घोल के डोज के बारे में उन्होंने बताया कि 2 माह तक हर दस्त के बाद 5 चम्मच, 2 माह से 2 साल तक एक चौथाई से आधा ग्लास, 2 साल से 10 वर्ष तक आधा ग्लास से एक ग्लास, 10 साल से ऊपर बच्चा जितना पी सके उतना ओआरएस का घोल पिलाना चाहिए।

भोजन दिए जाने के बारे में उन्होंने बताया कि 6 माह से कम उम्र के बच्चे को मां का दूध लगातार दिया जाता रहे, 6 माह से ऊपर के बच्चों को मां के दूध के अलावा घर में उपलब्ध पेय पदार्थ जैसे दही, दूध, नींबू पानी, दाल का पानी, नारियल पानी आदि पिलाते रहना चाहिए। जिंक सल्फेट के खुराक के बारे में उन्होंने जानकारी दी कि 2 माह से 6 माह के बच्चे को जिंक सल्फेट की आधी गोली (10 मिलीग्राम) एक चम्मच मां के दूध में घोलकर तथा 7 माह से 5 वर्ष तक के बच्चे को एक चम्मच साफ पानी में जिंक सल्फेट की एक गोली (20 मिलीग्राम) घोलकर 14 दिनों तक पिलाएं। दस्त ठीक होने पर भी 14 दिनों तक लगातार जिंक सल्फेट की खुराक दी जानी चाहिए। जिससे अगले 2 या 3 महीने तक दस्त एवं निमोनिया होने की संभावना काफी कम हो जाती है।

उन्होंने बताया कि यदि बच्चों के दस्त में खून आता हो, बच्चा यदि बार-बार उल्टी कर रहा हो, उसे चमकी आ रही हो या 14 दिनों से अधिक से दस्त की समस्या हो तो बच्चे को तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल में ले जाएं। मौके पर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार विश्वकर्मा, डी एस डॉ राजीव रंजन, डीपीएम स्वास्थ्य, पंकज कुमार मिश्र, प्रोग्राम ऑफिसर, डॉ विनोद कुमार झा, डॉ जी एम ठाकुर, अस्पताल प्रबंधक, अब्दुल मजीद, एस एम सी, यूनिसेफ, प्रमोद कुमार झा, बीएमसी, यूनिसेफ, आफताब आलम, पीरामल फाउंडेशन से मुदित पाठक, रितिका सिंह, शुभम खरे सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

रिपोर्टर : एम एम फैजी

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