सांप्रदायिकता एक प्रकार का जहर है जो सभी के विवेक पर पर्दा डालता है

लेख क्रमशः भाग 3 और 4

देश को खतरा: आंतरिक या बाहरी

(क्रमशः भाग तीसरा और चौथा भाग )

लेखिका दीप्ती डांगे, मुम्बई

सांप्रदायिकता एक प्रकार का जहर है जो सभी के विवेक पर पर्दा डाल देता है, उनकी सोच को समुदाय, धर्म,जाति तक सीमित कर देता है।और दूसरे धर्म जाति समुदायों को अपना दुश्मन समझने लगता है और  समुदायों के बीच द्वेष घृणा व संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।यह द्वेष कभी-कभी भयंकर रूप धारण कर देश मे आतंक और मारकाट फैला जाता है।जिससे लूटपाट, मारपीट व झगड़ा फसाद की स्थिति निर्मित होती है समाज मे अशांति व अव्यवस्था का माहौल बन जाता।

अनेक परिवार उजड़ जाते है और करूणापूर्ण और मार्मिक दृश्य उपस्थित हो जाता है।परिणामस्वरूप देश मे राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न होती है जो देश के विकास मे बाधक है। भारत मे धार्मिक सांप्रदायिकता की शुरुआत मुस्लिम बाह्य आक्रमणकारियों के भारत में आगमन के साथ उदित हुई और ब्रिटिश राज में फली  जिसकी वजह से देश दो भागों मे बाँट दिया गया। स्वतंत्रता के बाद बनी सरकारों ने धर्म निरपेक्ष के नाम पर वोट बैंक की राजनीति के खातिर मुसलमानों के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपनाई।जो देश-प्रेम की भावना स्वार्थपूर्ण माँग और विभाजन में बदल गयी,और इस चिंगारी को और भड़काने का कार्ये धार्मिक बुद्धिजीवियों व प्रतिनिधियों द्वारा समय समय भड़काऊ बयान देकर किया।

बढ़ती जनसंख्या जहां समूचे विश्व के लिए गहन चिन्ता का विषय बनी है।वही भारत के लिए सबसे ज्यादा खतरा है क्योंकि आज भारत 1.35 अरब जनसंख्या के साथ विश्व में दूसरे स्थान पर है। जो विश्व की कुल जनसंख्या का 17.85 फीसदी है।जिसका मतलब आज  दुनिया के हर 6 नागरिकों में से एक भारतीय है।देश की जनसंख्या तेज गति से बढ़ेगी तो वहां उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भी उसी के अनुरूप बढ़ता जाएगा।जिस अनुपात में भारत में जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, उस अनुपात में उसके लिए भोजन, पानी, स्वास्थ्य, चिकित्सा इत्यादि सुविधाओं की व्यवस्था करना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं है।

एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक चीन की आबादी 140 करोड़ होगी जबकि भारत की आबादी 165 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।जिसके कारण देश मे बेरोजगारी और गरीबी बढ़ेगी परिणामस्वरूप देश मे भ्रष्टाचार, चोरी, अनैतिकता, अराजकता और आतंकवाद जैसे अपराध बढेगे। जो देश के अस्थिर करेगे ओर विकास तो संभव ही नही।
एक अध्ययन में भारत जलवायु परिवर्तन के हिसाब से दुनिया का छठा सबसे अधिक संकटग्रस्त देश है।क्लाइमेट चेंज की वजह से भारत को सबसे अधिक खतरा है।

पर्यावरणविदों का मानना है इस सदी के अंत तक ग्लोबल वॉर्मिंग एक बड़ा संकट भारत के लिये बन जायेगा।भारत के औसत तापमान में 4.4 डिग्री की बढ़ोतरी हो जाएगी. इसका सीधा असर लू के थपेड़ों (हीट वेव्स) और चक्रवाती तूफानों की संख्या बढ़ने के साथ समुद्र के जल स्तर के उफान के रूप में दिखाई देगा। जिसके चलते समुद्री जलस्तर में औसत वृद्धि 300 मिलीमीटर (करीब एक फुट) हो जाएगी

भारत की 50% से अधिक कृषि वर्षा पर निर्भर है और यहां हिमालयी क्षेत्र में हजारों छोटे-बड़े ग्लेशियर हैं और पूरे देश में कई एग्रो-क्लाइमेटिक जोन हैं।मौसम की अनिश्चितता और प्राकृतिक आपदाओं से भारत को जान माल का बड़ा नुकसान होगा।विश्व बैंक भी कह चुका है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण भारत को कई लाख करोड़ डॉलर की क्षति हो सकती है।

वर्तमान परिदृश्य में युद्ध संबंधी लागतों और परमाणु क्षमताओं को समझते हुए, एक पूर्ण पारंपरिक युद्ध की संभावना सीमित होती जा रही है। इसलिए गैर-परंपरागत और छद्म युद्ध की संभावना बड़ गयी है। इसमें आतंकवाद, विद्रोह, छद्म युद्ध,और सीमा पर होने वाले संघर्ष शामिल हैं। इसके अतिरिक्त इसमें कुटिलता, सूक्ष्म कार्यवाहियाँ धमकी, मनोवैज्ञानिक युद्ध, राजनीतिक हस्तक्षेप, विघटन, धोखाधड़ी आदि भी शामिल हैं। जिसका उद्देश्य दुश्मन देश को अस्थिर करना, विकास मे अवरूद्ध पैदा करना और अर्थव्यवस्था को कमजोर करना।अंतिम उद्देश्य शत्रु को इतना अधिक अस्थिर करना है कि वह हार स्वीकार कर ले भले ही उसके पास युद्ध जारी रखने की क्षमता हो। हमारे पड़ोसी देश चीन की विस्तारवादी नीति और पाकिस्तान की महत्वकांक्षा के चलते हमारे देश को कई दशकों इस तरह के युद्ध का सामना करना पड़ रहा है।

भारत को जहां आंतरिक सुरक्षा का खतरा है वही पर बाहरी सुरक्षा का भय भी है। जैसे भारत भूमि की सीमाओं दुसरो देशो से जुड़ी है वैसे ही भारत की समुद्र सीमा भी पड़ोसी देशों से जुड़ी है।जिसके चलते देश की सुरक्षा को लगातार चनौती मिल रही है।जैसे अवैध रूप से मछली पकड़ने, मछुआरों की गिरफ्तारी,हथियार तस्करी, आतंकवादी घुसपैठ, मानव तस्करी और दवा की तस्करी आदि इसका सबसे बड़ा उदाहरण 26/11 है। 10 पाकिस्तानी आंतकवादियो ने सुमद्र से ही देश में प्रवेश किया था।

शीर्षक देश को खतरा: आंतरिक या बाहरी

(अंतिम भाग )

लेखिका दीप्ति डांगे, मुम्बई

तीसरा विश्व युद्ध बम, बंदूक से नही होगा बल्कि ये इंटरनेट और बायोलॉजिकल वेपन की सहायता से होगा। जिसमे दुश्मन या दुश्मन देश किसी बंद कमरे में बैठकर सिर्फ उंगलियों के इशारे से किसी भी देश को तबाह करने की क्षमता रखता है।साइबर हमले के जरिए कुछ ही समय मे किसी देश की पूरी की पूरी अर्थ व्यवस्था को चौपट की जा सकती है, देश की अत्यधिक गोपनीय सैन्य और अन्य जानकारियां प्राप्त कर सकता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 'वानाक्राई रेनसम वेयर' है जिसने एक वक्त में एक साथ भारत समेत दुनिया के 100 देशों पर साइबर हमला किया। सभी देश आज साइबर हमलों से जूझ रहे है। और ये खतरा बढ़ता ही जा रहा है।

सायबर हमले वायरसों की सहायता से वेबसाइटें ठप कर के दी जाती हैं और सरकार एवं उद्योग जगत को पंगु करने का प्रयास किया जाता है।साइबर हमले से सबसे ज्यादा खतरा किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को होता है। ये वायरस इंटरनेट के जरिए जुड़े हुए बैंकिंग सेक्टर पर हमला बोल सकते हैं। इस तरह के हमले से बैंको में रखा आम आदमी का पैसा कभी भी गायब हो सकता हैं। इसके अलावा इंटरनेट से जुड़े रेल नेटवर्क, हवाई नेटवर्क आदि को भी बड़ा नुकसान पहुंच सकता है।आज भारत के लिए भी सायबर हमले एक बड़ा खतरा बन चुका है। क्योंकि सायबर हमले सबसे ज्यादा चीन करता है और भारत से चीन के रिश्ते बिल्कुल अच्छे नही है। जहां एक तरफ सायबर वॉर हो रहा है वही तीसरे विश्व युद्ध का सबसे कारगर हथियार बायोलॉजिकल वेपन मन जा रहा है।

अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी के अनुसार कोरोना वायरस एक जैविक हथियार माना जा रहा है जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। पीएलए से जुड़े वैज्ञानिक और हथियार विशेषज्ञों ने भी उस दावे का समर्थन किया है।  जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या कोरोना चीन का बायोलॉजिकल वेपन है? क्या कोरोना के ज़रिए चीन ने जैविक युद्ध की टेस्टिंग की है? क्या चीन वुहान की लैब में अब भी जैविक हथियार बना रहा है? क्या चीन तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी इन्हीं जैविक हथियारों से कर रहा है?ये सवाल आज पूरे दुनिया के दिमाग मे चल रहे है। क्या जैविक हथियार का प्रयोग कर चीन का मकसद दुश्मनों के मेडिकल फैसिलिटी और अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर देना है। ताकि दुश्मन खुद उसके आगे घुटने टेक दे और ऐसा हो भी रहा है. खुले तौर पर चीन के दो दुश्मन हैं-अमेरिका और भारत।

पिछले कुछ सालों से आंतरिक और बाहरी खतरे थोड़े कम हुए है जैसे आतंवादी और नक्सली हमले काफी कम हुए है।अनेक माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। इतना ही नहीं, उनमें शामिल होनेवाले आदिवासियों की संख्या में भी कमी आई है साम्यवादी और अलगाव वादियों पर नकेल कसी है। बहुत सारी गैर सरकारी संगठनों को ब्लैक लिस्ट किया गया जो मनी लॉन्ड्रिंग, धर्म परिवर्तन मे संलिप्त पाई गई थी। ओर विदेशी चंदा (नियमन) मे बदलाव की घोषणा की गई। 34 साल बाद नई शिक्षा नीति बनी जिसका उद्देश्य छात्रों की सोच और रचनात्मक क्षमता को बढ़ाकर सीखने की प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाना। देश डिजिटल के अलावा पेपरलेस और 100 फीसदी ई-ऑफिस से होने से भ्रष्टाचार मे कमी, पर्यावरण और कागज की बड़े पैमाने पर बचत हो रही है।

पूर्वोत्तर भारत की प्रगति भी अब तेजी से हो रही है। इस भाग में होने वाले विद्रोह में बहुत कमी आई है चाहे वह फिर नागाओं द्वारा हों, मणिपुरी लोगों द्वारा हों, या असम में उल्फा के लोगों द्वारा हों। विद्रोह के कारण होनेवाली हिंसा में कमी होने के कारण इस क्षेत्र में शांति की प्रस्थापना हुई है। देश को आत्म निर्भर बनाने के लिये स्टार्ट अप और मेड इन इंडिया जैसी योजनाएं बनाई गई। घुसपैठ और तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए भारत बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) अब हाइटेक तरीके का इस्तेमाल कर रही है। तस्करी और घुसपैठ रोकने के लिए बांग्लादेश और असम की सीमाओं अत्याधुनिक ड्रोन के अलावा जमीन के नीचे और नदियों में सेंसर लगा दिए हैं।

नेपाल से भारत में माओवादियों, अन्य आतंकवादी संगठनों के सदस्यों और संदिग्ध लोगोंकी घुसपैठ रोकने के लिए बहुउद्देशीय पहचान पत्र जारी किए जाने को लेकर भारत व नेपाल में विचार शुरू हो गयाहै। देश की सीमाओं पर संवेदनशीलता को देखते हुए सेना को अत्याधुनिक हथियार और जवानों को आधुनिक उपकरणों तथा अस्त्र-शस्त्रों से लैस करने का निर्णय लिया है और लाखो राइफल, हज़ारों हेलमेट और बुलेट प्रूफ जैकेट्स की खरीद को मंज़ूरी दी गई है। सेना को अत्याधुनिक हथियार, मिसाइल्स और जहाजो से सुसज्जित किया है गया है। पिछले कुछ वर्षों से देश मे काफी सुधार हुए है लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है

सायबर हमले को देखते हुए देश के लाखों इंटरनेट यूजर्स बैंकिंग तथा अन्य क्षेत्रों से संबंधित डेटा को सुरक्षित रखने के लिए सूचना व तकनीकी संबंधित कठोर नियम व कानून बनाने होंगे। भारत को अधिक कुशल, सजग व मजबूत साइबर सुरक्षा फोर्स का गठन करके साइबर युद्ध क्षमताओं में वृद्धि करनी होगी।

देश के समुद्र सीमा की सुरक्षा हेतु मछली मारनेवाली नौकाओं पर ऑटोमाटिक आईडेन्टिफिकेशन सिस्टम लगाने चाहिए इसके कारण ऐसी नौकाओं की रडार के माध्यम से निगरानी की जा सकेगी और पुलिस ट्रेनिंग, उन्हें नई नौकाएं देना, उनके लिए बंदरगाहों की सुविधा, गुप्तचरी की गुणवत्ता बढ़ना आवश्यक है। जनसंख्या विस्फोट और सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिये मज़बूत कानून की आवश्यकता होती है। जैसे जनसंख्या नियंत्रण बिल और समान नागरिक सहिंता।

कानून को मजबूत करने के लिये हर राज्य में एक ‘राजकीय सुरक्षा मामलों का मंत्रालय’ तथा राष्ट्रीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय सुरक्षा प्रशासनिक सेवा’ नाम से एक अलग केंद्रीय सेवा गठित किया जाना चाहिये। जिसके अंदर पुलिस और अदालते कार्ये करे और राज्य सरकारों का दखल कम हो।राज्यों के पुलिस बल के आधुनिकीकरण की ओर तत्काल ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। आर्थिक अपराधों से निपटने के लिये संबंधित नियामक एजेंसियों के बीच समन्वय सुनिश्चित किया जाना चाहिये। ‘केंद्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो’ इस संबंध में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। प्रिंट और सोशल मीडिया जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अनुचित उपयोग कर हिंसा भड़काने के काम कर रही उस को रोकना ही होगा।

लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार चुनने का अधिकार मतदाताओं के हाथ में होता है। इसलिए, मजबूत राष्ट्र बनाने एवं अच्छी सरकार चुनने उनको सजग होना पड़ेगा।ऐसे प्रत्याशियों को वोट नही करना चाहिये जो देशी हित में नही बल्कि परिवार हित मे कार्ये करते हो जो वोट और सत्ता के लिये देश को जातिवाद, आरक्षण और मुफ्तखोरी की आग मे झोंक रहे हो। संविधान जब सबके लिए एक है तो राजनेतायो को आयकर के दायरे से बाहर क्यों रखना चाहिये ? पेंशन बंद होनी चाहिये और उनपर भी आम जनता की तरह कानून लागू होना चाहिये।
तभी देश का कानून मजबूत होगा, अदालते और सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार से मुक्त होगी। और देश मजबूत होगा।


 रिपोर्टर : चंद्रकांत सी पूजारी

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