उपकार न भूलो

        लेखिका- नूतन राय : नालासोपारा मुंबई 

धन दौलत और ऊंचे पद के चक्कर में मत इतना फूलो।
  जिसने तुमको जन्म दिया उपकार नहीं उनका भूलो।।

 सूखे बिस्तर देकर तुमको खुद गीले पर सो जाती।
तुमको चैन की नींद आजाए  थी वो  रात भर जागती।।
उस जननी को  अपनी व्यस्तता में ना भूलो।। 

 जिसने तुमको जन्म दिया उपकार नहीं उनका भूलो ।।

मत भूलो यह परिवर्तन इतिहास दोहराया जाएगा।
 आज तु बेटा है एक दिन तू भी बाप बन जाएगा।।

  जैसी करनी वैसी भरनी जग की रीत नहीं भूलो।।

 जितने तुमको जन्म दिया उपकार नहीं उनका भूलो।।

जिसने तुमको पाला -पोसा खुदका पालन भी कर सकते।
 बस ममता और प्यार के वश में होकर राह  तेरी तकते।।
मां बाप है चारों धाम उनकी सेवा करना ना भूलो।।

  जिसने तुमको जन्म दिया उपकार नहीं उनका भूलो।।

जननी धरा पितांबर इसमें है चारों धाम।
 मात- पिता को पूज गजानन  बन गए प्रथम पूज्य भगवान।
सब तीर्थों के फल मिल जाएंगे छूना चरण नहीं भूलो ।।

  जिसने तुम को जन्म दिया उपकार नहीं उनका भूलो।।

 

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