फसलों को खराब कर सकता हैं ये यूरिया लिक्विड.....

फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने व उपज बढ़ाने के लिए किसान यूरिया का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन नैनो यूरिया के मार्किट में आने के बाद किसानों के पास दो विकल्प हो जाते है. पहला सफेद दानेदार यूरिया और नैनो तरल यूरिया. ऐसे में किसानों की सामने यह दिक्कत होती हैं की वह कौनसा यूरिया इस्तमाल करें. ऐसे में कुछ किसानों को इसकी जानकारी नही होती हैं. लेकिन आज के इस कृषि आर्टिकल में हम आपको बताएँगे नानो यूरिया के बारे में.....


भारत सरकार ने IFFCO के नैनो लिक्विड यूरिया को मान्यता देकर फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर  में शामिल किया है. इसमें शामिल होने वाला यह एकमात्र नैनो उर्वरक है. नैनो लिक्विड यूरिया की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है. जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व देता है. लिक्विड यूरिया की लॉन्चिंग के बाद इफको ने दावा किया है. कि इसके उपयोग से देश में यूरिया की खपत 50% तक कम हो सकती है. इसका उद्देश्य पौधों के पोषण को बढ़ाना और दुनिया भर के किसानों की मदद करना है. तो चलिए विस्तार से जानते हैं ननो यूरिया क्या हैं और क्यों इस्तमाल होता हैं....

क्या नानों यूरिया लिक्विड....
स्वदेशी रूप से निर्मित लिक्विड नैनो यूरिया एक तरल उर्वरक है जो पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन प्रदान करता है. ये नाइट्रोजन पौधों में अमीनो एसिड, वर्णक, एंजाइम और आनुवंशिक सामग्री के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है. नैनो यूरिया तरल, एक नैनो-प्रौद्योगिकी-आधारित उत्पाद है जिसने सामान्य कृषि उर्वरकों से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान किया है. राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) के हिस्से के रूप में 2019-20 में देश के 30 एग्रो क्लाइमेटिक जोन के 11000 किसानों के खेतों में 94 फसलों पर इसका 2 साल तक परीक्षण किया गया था. इसके अलावा भारतीय कृषि अनुंसधान परिषद  के 20 से अधिक संस्थानों और कृषि विश्वविद्यायों में भी लिक्विड यूरिया का सफल परीक्षण हो चुका है. इस दौरान पारंपरिक नाइट्रोजन पूरकता विधियों की तुलना में नैनो यूरिया के कई फायदे दिखाई दिए.

उपयोग...
यूरिया के उपयोग से कृषि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता हैं.

वाहनों के प्रदूषण नियंत्रक के रूप में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं.
 
रेजिन, प्लास्टिक एवं हाइड्रोजन के साथ-साथ यूरिया-फार्मेल्डिहाइड बनाने में भी इसका उपयोग होता हैं.

इससे यूरिया-स्टीबामिन नामक काला-जार की दवा बनती है. 

इससे वेरोनल नामक नींद की दवा भी बनती है.

यूरिया का उपयोग सेडेटिव (उत्तेजना को कम करने वाली और व्यक्ति को शांत करने वाली) दवाओं को बनाने में भी किया जाता है.

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