संविधान ग्रंथ का भव्य लोकार्पण जिसमें प्रयागराज की डॉ. मधु शंखधर, डॉ. व्रजेश शंखधर हुए गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से हुए सम्मानित

नई दिल्ली : भारतीय संविधान को सरल और रोचक तरीके से प्रस्तुत करने के उद्देश्य से 'छंदबद्ध भारत का संविधान' पुस्तक का लोकार्पण किया गया। यह पुस्तक भारतीय संविधान के अनुच्छेदों को छंदों में पिरोकर एक अद्वितीय और सृजनात्मक शैली में प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक को त्रयी संपादक मंडल; प्रमुख सम्पादक ओमकार साहू 'मृदुल',  सह संपादक डॉ. मधु शंखधर 'स्वतंत्र', डॉ.सपना दत्ता सुहासिनी के साथ 142 प्रवुद्ध साहित्यकारों ने  अपनी लेखनी से इस पुस्तक को ऐतिहासिक बनाया है। इस कार्यक्रम का आयोजन  हिन्दी भवन नई दिल्ली में किया गया। इस अवसर पर अतिथि के रूप में देश की प्रतिष्ठित वरिष्ठ साहित्यकार व समाजसेवी डॉ० रमा सिंह, आज तक के एडिटर पंकज शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार शकुंतला कालरा, पूर्व न्यायाधीश डॉ० संतोष खन्ना, सुरेश सिंह प्रियदर्शी, कवि एवं पत्रकार डॉ० चेतन आनंद एवं भारत प्रमुख गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्डस के आलोक कुमार उपस्थित रहे।  कार्यक्रम के प्रथम सत्र की अध्यक्षता पद्मश्री डॉ० श्याम सिंह "शशि" ने तथा द्वितीय सत्र की अध्यक्षता छन्द मर्मज्ञ डॉ. रामनाथ साहू ननकी ने किया।  इस अवसर पर सभी वक्ताओं ने प्रधान संपादक श्री ओमकार साहू 'मृदुल' और सह संपादक डॉ. मधु शंखधर 'स्वतंत्र' व सपना दत्ता सुहासिनी को इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए बधाई दी और आशा व्यक्त की कि यह  भारतीय संविधान के ज्ञान को व्यापक जनसमूह तक पहुँचाने में सफल सिद्ध होगी। कार्यक्रम में लगभग 79 सृजनकारों ने अपने विचारों को लोगों के सामने रखा। प्रयागराज से डॉ. व्रजेश कुमार शंखधर, संगीता पाण्डेय तथा सिद्धार्थनगर से ऋषि कबीर 'मनहर'   इंदौर से सुषमा शर्मा, जबलपुर से अनुराधा पारे  उज्जैन से रश्मि मोयदे, पुणे से  पद्माक्षि शुक्ल आदि को इस ऐतिहासिक पुस्तक में सृजनकर अपना अमूल्य सहयोग देने के लिए प्रशस्ति पत्र, अलंकरण चिह्न व  गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रमाण पत्र देकर  सम्मानित किया गया। प्रधान संपादक ओंकार नाथ साहू 'मृदुल' ने पुस्तक की प्रेरणा और उसकी संरचना पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह पुस्तक भारतीय संविधान के विभिन्न पहलुओं को और उसकी व्याख्या को सरल और सुलभ भाषा में प्रस्तुत करती है। सह संपादक  डॉ. मधु शखधर ने पुस्तक के संपादन प्रक्रिया और इसमें शामिल किए गए शोध कार्य पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेदों की विस्तृत व्याख्या के साथ-साथ उनके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को भी शामिल किया गया है। यह पुस्तक न केवल विधि के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी। इसमें संविधान के प्रावधानों को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे पाठकों को संविधान को समझने में सुविधा होगी।
कार्यक्रम में डॉ. मधु शंखधर स्वतंत्र, डॉ. व्रजेश कुमार शंखधर, संगीता पाण्डेय को गोल्डन बुक ऑफ वर्ड रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया। जिसके लिए पूरे शंखधर परिवार की तरफ से बधाई दी गई। डॉ.मधु शंखधर वर्तमान में सिद्धार्थनगर में बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं।उनके विभाग की तरफ से बधाई मिली। उनके माता पिता राजकुमार तिवारी व श्रीमती बीना तिवारी ने बेटी व दामाद को बधाई दी। 

 

 

रिपोर्टर : डीके मिश्रा
 

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