स्थानीय बूढ़ी माता मंदिर परिसर सहित जिले कई स्थानों में अक्षय नवमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया

शहडोल। स्थानीय बूढ़ी माता मंदिर परिसर सहित जिले कई स्थानों में अक्षय नवमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया, महिलाओ ने परिवार के साथ आंवले के वृक्ष का पूजा किया एवं वृक्ष के नीचे बैठकर सपरिवार भोजन किया।

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का आयोजन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन से ही त्रेता युग का आरंभ हुआ था। शहडोल के बूढ़ी माता मंदिर में सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे जिन्होंने विधि विधान ने आंवले के वृक्ष की पूजा की और निरोगी जीवन के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया है..

पुराणों की माने तो इस दिन किया गया कोई भी धार्मिक कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व है, आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से मात्र से न सिर्फ शिव और नारायण की पूजा का शुभ फल मिलेगा बल्कि लक्ष्मी और मां पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है.. यह व्रत लोगों को आरोग्य प्रदान करेगा और घर में सुख-समृद्धि भी प्रदान करती है। इसलिए आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करना और इस वृक्ष के नीचे भोजन पकाकर गरीब व जरूरतमंद लोगों को खिलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

रिपोर्टर : रजनीश शर्मा

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