महालक्ष्मी का ये व्रत सुख - समृद्धि से भर देता हैं , जाने पूजा विधि..

माँ लक्ष्मी को हर कोई खुश करना चाहता हैं. इसके लिए इंसान कई सारी पूजा पाठ भी करता हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं. की माँ लक्ष्मी का ऐसा भी व्रत हैं. जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता हैं. इस व्रत की शुरुआत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से पितृ पक्ष में आश्विन कृष्ण अष्टमी तक होती हैं और 16 दिन तक महालक्ष्मी का व्रत किया जाता है. यह महालक्ष्मी का रहस्यमयी व्रत है. जो 16 दिन तक इस व्रत को करने से महालक्ष्मी की कृपा शुरू हो जाती है. घर में धन-धान्य, सुख समृद्धि बढ़ती है. ऐसा शास्त्रीय वचन है. तो चलिए आपको इस व्रत की विधि बताते हैं..

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व्रत विधि..
 यद्यपि लक्ष्मी जी का व्रत शुक्रवार को किया जाता है, किंतु वर्ष में एक बार महालक्ष्मी की आराधना का पक्ष होता है इसे महालक्ष्मी पक्ष बोलते हैं. भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक महालक्ष्मी को नियमित पूजा करने से लक्ष्मी मां प्रसन्न होती हैं. सर्वप्रथम प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर अपने घर के मंदिर में ही या उसके आसपास लकड़ी के पटरे या चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर कलश स्थापना करें. कलश को कलावे से बांधे. कच्चा नारियल और आम के पत्तों के स्थान पर आठ पान के पत्ते नारियल के नीचे रखें जो अष्टलक्ष्मी के प्रतीक हैं और महालक्ष्मी की मूर्ति रखें. लक्ष्मी जी के विशेष मंत्रों से मां का आह्वान करें. इन दिनों में मां की अष्ट सिद्धियों की पूजा लक्ष्मी के रूप में होती है. घर में पति-पत्नी दोनों ही पूजा एवं व्रत कर सकते हैं. नियमित रूप से सफेद मिष्ठान्न, किशमिश, मिश्री अथवा पंचमेवा का भोग लगाएं. आरती करें. 16 दिन तक व्रत कर सकते हों तो बहुत अच्छा है और यदि व्रत नहीं कर सकते तो अष्टमी, पूर्णिमा और फिर अष्टमी अर्थात 3 दिन का व्रत करने से ही मां लक्ष्मी के व्रत पूर्ण हो जाते हैं. लेकिन इन दिनों पूरे नियम, संयम, आचार-विचार खान-पान की शुद्धता का ध्यान रखना पड़ता है. मां लक्ष्मी को स्वच्छता प्रिय है. इसलिए घर का वातावरण पवित्र और स्वच्छ हो ऐसा ध्यान रखें. श्री सूक्त का पाठ लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए उत्तम माना गया है. इसके अलावा अष्ट लक्ष्मी के मंत्र ओम् कामलक्ष्म्यैनमः। ओम् आद्यलक्ष्म्यै नमः। ओम् सत्यलक्ष्म्यै नमः। ओम् योगलक्ष्म्यै नमः। ओम भोगलक्ष्म्यै नमः। ओम् विद्यालक्ष्म्यै नमः। ओम् अमृतलक्ष्म्यै नमः। ओम् सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः। इन मंत्रों का नियमित जाप करना चाहिए.

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उद्यापन करें..
16 दिन पुरे होने के बाद उद्यापन किया जाता हैं. 16 दिन केले के पते पर माँ लक्ष्मी का चित्र बनाकर उसकी पूजा करें और खाने का भोग लगाए फिर किसी ब्राह्मण को बुलाकर पूरा भोजन कराए और वस्त्र आदि दान करें.  

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