भौम प्रदोष कब है, ऐसे विधि से पुजा कर भगवान शिव को करे प्रसन्न

हिंदू पंचांग के अनुसार भौम प्रदोष त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है. इस बार भौम प्रदोष तिथि 22 जून 2021 को है. भगवान महादेव की कृपा पाने के लिए इस विधि से करें पूजा और सुनें कथा. आइये जानें विधि, तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्त्व.

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत को उत्तम माना गया है. त्रयोदशी तिथि के प्रदोष काल में भगवान शिव प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं. मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक व्रत और पूजा करने से शिव जी बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं, और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

प्रदोष व्रत  :पंचांग के अनुसार 22 जून, मंगलवार को ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी की तिथि है. इसी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. मान्यता के अनुसार एक मास में दो प्रदोष व्रत होते हैं.

ज्येष्ठ मास का अंतिम प्रदोष व्रत 

22 जून, मंगलवार को ज्येष्ठ मास का अंतिम प्रदोष व्रत है. पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास का समापन 24 जून को हो रहा है. ज्येष्ठ मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. 

हनुमान पूजा का बन रहा है विशेष संयोग 
हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना गया है. मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव के साथ हनुमान जी की पूजा का विशेष संयोग बन रहा है. इस कारण भौम प्रदोष व्रत का महत्व बढ़ जाता है. 

मंगल और शनि देव की अशुभता दूर होती है भौम प्रदोष पर बनने वाले विशेष संयोग से मंगल ग्रह और शनि देव की अशुभता को भी दूर किया जा सकता है. जिन लोगों की जन्म कुंडली में मंगल दोष है, उन्हें इस पूजा करने से लाभ प्राप्त होता है. वहीं शनि देव यदि अशुभ फल प्रदान कर रहे हैं तो इस दिन हनुमान जी और भगवान शिव की पूजा करने से शनि शांत होते हैं.

पूजा की विधि 
प्रदोष व्रत का आरंभ विधि पूर्वक करना चाहिए. इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा प्रारंभ करनी चाहिए. भगवान शिव का ध्यान लगाते हुए, व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन भगवान शिव पर बेलपत्र  धतूरा   मदार के पुष्प  पंचगव्य आदि चढ़ाने  से भगवान शिव प्रसन्न होते है  . 
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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त 
प्रदोष व्रत: 22 जून, मंगलवार , त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ: 22 जून, मंगलवार को प्रात: 10 बजकर 22 मिनट से.त्रयोदशी तिथि का समापन: 23 जून, बुधवार को प्रात: 06 बजकर 59 मिनट तक.

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