वजन के हिसाब से बिन पेंदे के लोटा बने ऊंचाहार कोतवाल

ऊंचाहार रायबरेली - मामला ऊंचाहार कोतवाली का जहां पर ऊंचाहार कोतवाली के कोतवाल को भी मानवीय अधिकारों का हनन करने में महारथ हासिल है। आपको बता दें कि ऊंचाहार कोतवाली में कोतवाल अनिल कुमार सिंह अपने ही फायदे के लिए खुद ही कानून बनाते है। और कही अपने फायदे के लिए उन्ही कानून को तोड़ देते है। आपको बता दें कि ऊंचाहार में लोग दबंगों से ज्यादा तो कोतवाल से ही पीड़ित है। ऊंचाहार में मिलते जुलते दो मामले देखने को मिले है। जहां पर ऊंचाहार कोतवाल ने दो अलग अलग जमीनी मामले के विवाद में अपने ही तरीके से खेल कर दिया। 

पहला मामला ऊंचाहार क्षेत्र के कंदरावां गांव का है जहां पर पीड़ित रजनी देवी जोकि की 40 वर्ष पूर्व से ही अपनी भूमि पर रह रही है। कच्चा मकान होने की वजह से लगभग दो वर्ष पूर्व ही मकान गिर गया था। जिसकी वजह से पीड़ित परिवारों और उनके जानवरो को रहने में असुविधा हो रही थी। पीड़ित के घर के पीछे विपक्षी रोहित कुमार का मकान बना हुआ है। जबकि रोहित कुमार को अपने मकान तक जाने पर्याप्त रास्ता है। लेकिन जबरन पीड़िता का जमीन पर कब्जा करने की फिराक में है। कोतवाली में पीड़िता ने तहरीर भी दी थी। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। 25 तारीख दिन शनिवार को कोतवाल ने दोनो पक्षों को कोतवाली में बुलाकर समझौता करवा दिया। समझौते में पिलर से दो फुट छोड़ कर दीवाल उठाने की बात लिखवाई गई। जिसपर पीड़िता राजी हो गई। लेकिन जब पीड़िता पुनः दीवाल उठाना शुरू की कि फिर विपक्षी ने 112 पी आर वी को सूचना दी। जबकि ऊंचाहार कोतवाल ने साफ साफ कह दिया है। कि बगैर स्टे ऑर्डर के मैं काम नहीं रुकवा सकता हूं। लेकिन इसके बाद भी बगैर माननीय न्यायालय के आदेश पर ऊंचाहार कोतवाल काम रुकवाने में बड़ी ही दिलचस्पी ले रहे है। वहीं सूत्रों की माने तो ऊंचाहार कोतवाली पुलिस ने पीड़िता को जबरन परेशान करने के लिए विपक्षी रोहित कुमार से 25000 रुपए की सेटिंग गेटिंग की है। जिसकी वजह से पुलिस काम रुकवाने और पीड़िता को परेशान करने के लिए पुलिस एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। 

वही दूसरी तरफ खोजनपुर के एक जमीनी विवाद कोतवाल ने स्थाई निर्माण होने से रोकने की बजाय। सरक्षण दे दिया है। अब ऐसे में कहीं ना कहीं कोतवाल साहब की भूमिका संदिग्ध है। ऊंचाहार कोतवाली में पीड़ित न्याय की गुहार लगाने जाता है। लेकिन न्याय न करते हुए विपक्षी से मिलकर अपनी जेब भरने में लग जाते है।

 ऐसे में दोनों मामले मिलते जुलते है। एक मामले में कोतवाल निर्माण करवाने की जिद पर अड़े है। वही दूसरे मामले में वही कोतवाल निर्माण रुकवाने की ठान ली है। जिससे साफ जाहिर है कि कही न कहीं ऊंचाहार कोतवाली में सेटिंग गेटिंग का खेल बड़ी तेजी से चल रहा है। 

रिपोर्ट आशीष मौर्य

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