ऑटो टीपर से डोर-टू डोर कचरा संग्रहण का मामला 5 लाख के काम का 45 लाख में दे दिया ठेका

ब्यावर :  शहर में डोर-टू डोर कचरा संग्रहण के लिए दिए गए ऑटो टीपर के ठेके में नगर परिषद प्रशासन की ओर से अनियमितता बरते जाने एवं 45 लाख रुपए प्रतिमाह में ठेका देकर परिषद के राजस्व कोष को करीन 10 करोड़ की चपत लगाए जाने का गंभीर आरोप सामने आया है। पार्षद दलपतराज मेवाड़ा ने आयुक्त दलीपकुमार पुनिया को लिखित शिकायत देकर मामले की जांच करवाने एवं जांच होने तक संबंधित फर्म का भुगतान रोकने की मांग की है। मामले की शिकायत महानिदेशक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जयपुर को भी की गई है।

आरोप है कि तत्कालीन आयुक्त श्रवणराम चौधरी ने जानबूद्र कर उक्त कार्य के लिए ठेका अपने ही संगे साले टोकूराम की बालाजी कंस्ट्रक्शन को दिया। जो कार्य परिषद स्वयं अपने स्तर पर 5 लाख रुपए प्रतिमाह में करवा सकती थी, उसके लिए 45 लाख रुपए में ठेका देना निश्चित रूप से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला है जबकि कचरा संग्रहण में संखचन भी परिषद के उपयोग लिए जा रहे हैं। आरोप यह भी है कि निविदाकर्ता फर्म के पास आवश्यक दस्तापेन नहीं होने के बाद भी उसके नाम निविदा खोली गई जबकि आवश्यक दस्तावेन नहीं होने की स्थिति में ऐसी कर्म निविदा के लिए अपात्र मानी जाती है। मगर को संबंधित शाखाओं के अधिकारी एवं कर्मचारी जानते हुए, भी अनजान बने रहे। पार्षद मेवाड़ा ने आयुक्त पुनिया एवं माहानिदेशक भ्रष्टाचार ब्यूरो से उम्कालीन आयुक्त चौधरी के कार्यकाल में जारी सभी निविदाओं की जांच करने एवं उनमें किए गए भ्रष्टाचार का खुलासा कर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की है।

श्रम विभाग के नहीं है प्रमाण पत्र

मेवाड़ा ने शिकायत में बताया कि निविदाकर्ता बालाजी कंस्ट्रक्शन के पास श्रम विभाग की ओर से 1970 के तहत जारी किया जाने वाला प्रमाण पत्र नहीं था जबकि निविदाकर्ता फर्म के पास उक्त प्रमाण पत्र का होना अनिवार्य है। इसके अभाव में निविदाकर्ता फर्म को के लिए अपात्र माना जाता है।

यह भी है अनियमितता

निविदाकर्ता फर्म के पास श्रम विवाग का 1970 के तहत जारी प्रमाण पत्र के साथ राजस्थान दुकान एवं वाणिज्यिक संस्था अधिनियम 1958 का प्रमाण पत्र होना भी जरूरी है। निविदाकर्ता की ओर से उल्लेख की गई बालानी केयरटेकर फर्म रोहतक हरियाणा को बताई गई है। यह फर्म हरियाणा की है तो उसके पास राजस्थान दुकान एवं वाणिज्यिक संस्थान अधिनियम 1958 का प्रमाण पत्र व राजस्थान श्रम विभाग द्वारा जारी प्रमाण पत्र होने का सवाल ही नहीं उठता। इस तथ्य को भी नजरअंदाज किया गया है।

संसाधन परिषद के, काम ठेकेदार का

मामले में गंभीर बात तो यह है कि अऑटो टीपर से कचरा संग्रहण के लिए जो ठेका दिया गया है। उसमें ऑटो टीपर परिषद के काम लिए जा रहे है। केवल डीजल और चालक के लिए प्रतिमाह 45 लाख का ठेका जारी किया गया है। मेवाड़ा का आरोप है कि नी काम परिषद पूर्व में स्वयं अपने स्तर पर कर की थी और उसको लागत प्रतिमाह डेढ़ से दो लाख आ रही थी, उसके लिए अब 45 लाख रुपए प्रतिमाह क्यों कर दी गई? यह सबसे बड़ा घालमेल है।

कंप्यूटर ठेके में भी घालमेल

आरोप है कि परिषद में कंप्यूटर विद मैन पावर का ठेका भी तत्कालीन आयुक्त चौधरी के साले टीकूराम को ही दिया गया है। ठेका देने के बाद सभी संसाधन ठेकेदार को ही उपलब्ध करवाने है मगर यहां भी कंप्यूटर आदि परिषद की ओर से क्रय किए गए है। केनाल ऑपरेटर ठेकेदार के के हैं। इनमें भी 20 ऑपरंटरों लिए स्वीकृति दी गई है जबकि वर्तमान में 15 ऑपरेटर ही काम कर रहे है। भुगतान भी नियमानुसार नहीं किया जा रहा है।

रिपोर्टर : शैलेश शर्मा 

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