परंपरा जीवंत रखें, दीपावली पर मिट्टी के दीप जलाएं,प्रदूषण दूर भगाएं : शैलेंद्र द्विवेदी

रेवा : आज कल की तेज़-तर्रार(भाग दौड़)ज़िंदगी और आधुनिकता की चकाचौंध में लोग अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को पीछे छोड़ते हुए कोसों दूर भागते जा रहे हैं। लोगों की इस प्रवृत्ति का नतीजा हमारे पर्यावरण और सामाजिक मूल्यों पर तो पड़ता ही है साथ ही हमारी नई पीढ़ियों पर भी साफ दिखाई दे रहा है,जबकि दीपावली का पर्व हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं की गहराई से जुड़ा हुआ है।अब हमारी आधुनिकता प्रचलित इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों,लाइटों और पटाखों के चलते अपना पुराना स्वरूप खोता जा रहा है, फिर भी इस पर्व पर मिट्टी के दीयों का महत्व और लाभ आज भी अमूल्य हैं।मिट्टी के दीये जलाने का अर्थ सिर्फ़ एक परंपरा का पालन करना नहीं है,बल्कि यह पर्यावरण को संरक्षित करने,समाज को जोड़ने और साथ ही कुम्हार समाज के परिवारों का जीविकोपार्जन और आर्थिक सहयोग देने का भी एक महत्वपूर्ण जरिया है।इन दीयों से जलती प्राकृतिक रोशनी आँखों को सुकून देती है और प्रदूषण को दूर रखती है।इसके विपरीत कृत्रिम लाइटें और पटाखों के धुओं ने पिछले कई दशकों से हमारे वातावरण में प्रदूषण की समस्यायों को बढ़ाया है।विशेषज्ञों का मानना है कि मिट्टी के दीये जलाने से दीपावली की असली खूबसूरती जीवंत होती है। यह परंपरा न केवल प्रकाश का पर्व है बल्कि प्रेम, समरसता और ज्ञान का प्रतीक भी है।यह कुम्हारों के पारंपरिक काम को जीवित रखने का भी साधन है।गाँवों और शहरों में कुम्हार आज भी मिट्टी के दीये बनाकर इस परंपरा को जीवित रखने का प्रयास कर रहे हैं।सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि दीपावली के दौरान विशेष रूप से युवाओं और बच्चों को मिट्टी के दीयों का महत्व समझाना जरूरी है।उनकी माने तो कृत्रिम लाइटों का उपयोग एक पर्यावरणीय समस्या बनता जा रहा है।कई सामाजिक संगठन और विद्यालय अब दीपावली से पूर्व मिट्टी के दीयों के महत्व पर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। मिट्टी के दीये जलाने से लाभ: प्रदूषण में कमी मिट्टी के दीयों से कोई भी रसायन या हानिकारक धुआं नहीं निकलता। आँखों के लिए आरामदायक: इनकी प्राकृतिक रोशनी कृत्रिम लाइटों के मुकाबले आँखों के लिए आरामदायक होती है। कुम्हार समाज को आर्थिक सहयोग: यह उनकी जीविका का एक बड़ा साधन है।सांस्कृतिक जुड़ाव: यह परंपरा हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है और हमारी सांस्कृतिक पहचान को सलामत रखती है।इस दीपावली पर हम सब को संकल्प लेना चाहिए कि घरों में मिट्टी के दीये जलाएं और अपनी परंपराओं को जीवित रखें।साथ ही,इससे एक स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण भी बनाएँ।

 

रिपोटर : अर्जुन रेवा 

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