इस जगह किसानों ने बंजर जमीन में की केसर की खेती , जाने...

आज के समय किसान तरह - तरह की खेती में रूचि दिखा रहे हैं. और अच्छा मुनाफा भी कमा रहें हैं ऐसे ही किसान केसर की खेती करके भी लाखों का मुनाफा कमा रहें हैं , तो चलिए जानते हैं केसर की खेती के बारे में....

केसर की खेती का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे जहन में जम्मू-कश्मीर का नाम आने लगता है. क्योंकि जम्मू-कश्मीर में ही इसका उत्पादन किया जाता हैं.  लेकिन अब उत्तरप्रदेश के बुंदलेखंड में भी अब इसकी खेती होने लगी है. यहां के किसानों के प्रयासों से यह सब संभव हो पाया है. इसमें खास बात ये हैं कि यहां के किसानों ने बंजर जमीन पर केसर की खेती करके दिखा दिया है जिसे कर पाना बहुत कठिन है. यह सब कुछ यहां के किसानों की कुछ हटकर नया करने की जिद और कड़ी मेहनत के बल पर संभव हो पाया है. जानकारी के अनुसार बुंदेलखंड के हमीरपुर के निवादा गांव के केसर की खेती कर रहे हैं. वो भी बंजर जमीन पर.  इस बारे में यहां के किसानों का यह कहना था हमें उम्मीद नहीं थी कि ऐसी जमीन पर केसर उगा सकते हैं, लेकिन फिर भी हमने हार नहीं मानी और उसका नतीजा यह हुआ की यहां भी केसर लहलहाने लगी. 

बुंदेलखंड जिले में केसर की खेती...
बुंदेलखंड जिले में केसर की खेती  कर रहे किसानों के लिए केसर की खेती आय का एक नया स्त्रोत होगी. इसकी खेती करके किसान अधिक मुनाफा कमा पाएंगे. स्ट्रावेरी की खेती के बाद यहां के किसानों ने केसर की खेती में भी सफलता हासिल कर ली है. बता दें कि कश्मीरी केसर की खेती  से पैदा केसर की कीमत भारतीय बाजार से लेकर अंतराष्ट्रीय बाजारों में 2 से 3 लाख रुपये प्रति किलो है. तो ऐसे में अगर इसकी गुणवत्ता अच्छी हो तो किसानों को बेहतर मुनाफा हो सकता है. 

केसर का पौधा..
केसर का पौधा  सुगंध देनेवाला बहुवर्षीय होता है और क्षुप 15 से 25 सेमी (आधा गज) ऊंचा, परंतु कांडहीन होता है. इसमें घास की तरह लंबे, पतले व नोकदार पत्ते निकलते हैं। जो संकरी, लंबी और नालीदार होती हैं. इनके बीच से पुष्पदंड निकलता है, जिस पर नीललोहित वर्ण के एकांकी अथवा एकाधिक पुष्प होते हैं. अप्रजायी होने की वजह से इसमें बीज नहीं पाए जाते हैं. इसके पुष्प की शुष्क कुक्षियों को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन कहते हैं. इसमें अकेले या 2 से 3 की संख्या में फूल निकलते हैं. इसके फूलों का रंग बैंगनी, नीला एवं सफेद होता है. ये फूल कीपनुमा आकार के होते हैं. इनके भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं। इस मादा भाग को वर्तिका (तन्तु) एवं वर्तिकाग्र कहते हैं. यही केसर कहलाता है.

ऐसे करें केसर की खेती 
केसर को उगाने के लिए समुद्रतल से लगभग 2000 मीटर ऊंचा पहाड़ी क्षेत्र एवं शीतोष्ण सूखी जलवायु की आवश्यकता होती है. पौधे के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है. यह पौधा कली निकलने से पहले बारिश एवं हिमपात दोनों बर्दाश्त कर लेता है, लेकिन कलियों के निकलने के बाद ऐसा होने पर पूरी फसल चौपट हो जाती है. मध्य एवं पश्चिमी एशिया के स्थानीय पौधे केसर को कंद (बल्ब) द्वारा उगाया जाता है.

खेती का सही समय..
ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में केसरी की खेती जुलाई से अगस्त माह तक की जाती है लेकिन मध्य जुलाई का समय इसकी खेती के लिए अधिक उचित रहता है. जबकि मैदानी इलाकों में इसकी खेती का उचित समय फरवरी से मार्च का माना जाता है.

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.