सभी राज्यों में टेक्स कलेक्शन बढ़ने के बावजूद भी कर्ज बढ़े

साहित्य :    आज धीरे धीरे दुनिया के सभी देश तरक्की कर रहे है तो हमारा प्यारा भारत कैसे पीछे रहे लेकिन क्या आपने कभी सोचा है के तरक्की के सही मायने क्या होते है कभी समझा है। जी हा आप पढ़ते पढ़ते ये सोचते होंगे के हमे पता हे जेसे हम घरमे तरक्की की परिभाषा तय करते हे वैसे ही। जी  बिलकुल जब भी आप तरक्की के बारे में सोचेंगे तब आपको अपने हिसाब से कुछ न कुछ अंक के बारे में ही सोचेंगे और वो अंक आपके प्रॉफिट लॉस या तो बेलेंस शीट पर आधार रखेगा। अंत में यह तय हे की आंकड़े ही बोलते हे और सचाई बया करते हे।।
 तो आज हम जानेंगे के देश के हर एक राज्यो ने 2005 से लेकर अभी तक कितना कर्ज बढ़ाया हे उसके आकड़े आपको कहा से मिलेंगे और उससे आप अपने राज्य के एक नागरिक होने के नाती उसका लेखा जोखा कर सत्य जान सकेंगे।।।
 हम बात करे पहले तो यह आंकड़े आरबीआई की साइट पर से स्टेटमेंट 19 के तहत आते हे जिसकी लिंक  https://m.rbi.org.in//Scripts/PublicationsView.aspx?id=20869
यह हे और अब हम जानेंगे के राज्यो का ग्राफ कैसे कर्ज में बढ़ गया इसमें 2022 तक के आंकड़े रखे गए हे जो 2022 का बजेट एस्टीमेट आंकड़ा है लेकिन उससे ज्यादा ही। कर्ज होने की संभावना हे तो आज जानिए आपका राज्य कहा पर है।
 
यह स्टेटमेंट के अनुसार जारी किए गए कर्ज के अंक आलफबेटीक ऑर्डर अनुसार 
1. आंध्र प्रदेश में 2005 में कर्ज 75418 करोड़ का था और 2022 में 3,98,903 करोड़ तक हो गया. 
2 . अरुणाचल प्रदेश में 2069 करोड़ से 15122 करोड़, 
3 आसाम में 17043 करोड़ से 1,07,719 करोड़ , 
4 बिहार में 43183 करोड़ से 2,46,413 करोड़ , 
5 छत्तीसगढ़ में 12133 से 114200 करोड़ , 
6 गोवा में 4417 से 28509 करोड़ , 
7 गुजरात में 71334 करोड़ से 402785 करोड़ ,
 8 हरियाणा 24900 करोड़ से सीधा 2,79,022 करोड़ , 
9 हिमाचल में 16483 करोड़ से 74,686 करोड़, 
10 जारखंड में  13090 करोड़ से 1,17,789 करोड़ , 
11 कर्नाटक में 44345 करोड़ से 4, 61,832 करोड़ 
12 केरला में 43694 से 3,35,989 करोड़
13 मध्य प्रदेश में 44585 करोड़ से 317736 करोड़
14 महाराष्ट्र में 124554 से 6,08,999 करोड़
15 मणिपुर में 3238 करोड़ से 13510 करोड़
16 मेघालय में 2409 करोड़ से 15,125 करोड़
17 मिजोरम में 2921 करोड़ से 11830 करोड़
18 नागालैंड में 2628 से 15,620 करोड़
19 ओडिसा में 36982 से 167205 करोड़
20 पंजाब में 47070 करोड़ से 2,82,864 करोड़
21 राजस्थान में 59967 से 4,77,177  करोड़
22 सिकिम में 1150 से 11285 करोड़
23. तमिलनाडु 55,968करोड़ से 659,868 करोड़
24. तेलंगाना नया हे फिर भी 312,191.3
25. त्रिपुरा 4,852करोड़ से 23,624 करोड़
26. उत्तरप्रदेश 136,273 करोड़ से 653,307 करोड़
27.उत्तराखंड 10,122 करोड़ से 84,288 करोड़ 
28.वेस्ट बंगाल 97,341 करोड़ से 562,697 करोड़ 
29. जम्मू 15,876 करोड़ से 114,995 करोड़
30. दिल्ली 15,835 करोड़ से 20,886 करोड़
31. पांडिचेरी 1,549 करोड़ से 10,852 करोड़
 
ऐसे पूरे देश के राज्यो को मिलाया जाए तो कुल कर्ज 2005 में 1,014,066.5 करोड़ से 6,947,045.1 करोड़ तक यनीकी पिछले 17 सालो में कर्ज में 7 गुना तक बढ़ोतरी आई हैं। यह आंकड़े बहुत चौकाने वाले हे और देश के भविष्य को कभी भी बेच शकते हैं। इसमें अभी देश से लिया कर्जा सामिल नही हे। अब यह सोचने वाली बात है के बीते 15 सालो में देश में टेक्स से लेकर सारे दंड और सभी सरकारी आय में बढ़ोतरी होने के बावजूद भी कर्ज क्यू बढ़ रहा है यह पैसे कहा जा रहे है।
 
अगर आप सच्चे भारतीय हे और भारत को एक कुटुंब की तरह मानते हे तो सोचे की आपके कुटुंब के ऊपर इतना कर्ज हो तो आपको नींद कैसे आएगी।जो इसके करता धर्ता है यानी की नेता और पक्ष इनकी क्या जिम्मेवारी हे?! क्या वो सही अर्थ में देश के पहरेदार हैं?! सच्चे पहरेदार तो वो हे जो देश का 1 रुपिया भी गलत न होने दे। और बड़े सयाने भी कह गए हे की बेटा कुछ भी करना पर कुछ भी ही जाए अपने पर कर्ज मत करना?! और यहां तो हर राज्य में कर्ज करने की होड़ लगी है। और यह कर्ज का सीधा उसुल है जब लेनदार घर पर आते है तब सही कर्ज का पता चलता हे। काश यह पढ़के देश के नेताओं और अच्छे और देश को सही राह पे लेजाने वाले नेता और पक्ष का जमीर जाग जाए और वह कर्ज के बारे में सोचने लगे और यह कर्ज आने वाले सालो में कम हो ऐसी आकांक्षा । वरना पहेरदार , चौकीदार , इंडिया , भारत और जो भी नाम दो सब यह कर्ज तले दबे होंगे। 
रिपोर्टर : चंद्रकांत पुजारी

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