पढ़िए राष्ट्रिय युवा कवि राम भदावर की, देश प्रेम जगा देने वाली कविता

राम भदावर भारत के एक युवा कवि हैं आज उनका नाम पुरे देश में जाना जाता हैं. राम भदावर उत्तर प्रदेश के इतवा जिले से ताल्लुख रखते हैं. अब ऐसा माना हैं की आज के समय में उनके जैसा वीर रस का युवा कवि कोई नहीं हैं. जब भदावर मंच पर अपनी कविताओं को दहाड़ते हैं तो लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं और तालियों की आवाज़ एवं भारत माता की जय के नारों से सभा गूंज उठता हैं. आइये आज हम ख़ास आपके लिए लाये हैं राष्ट्रिय युवा की कविता जो आपका दिन बना देगा.

मैं क्या दूंगा इस मिट्टी को परिभाषा?
किसको कह दूं तुम बनो देश की आशा?
अंधो बहरों देखो यह नया तमाशा।
लो सुनो मेरे आजाद भगत की भाषा।।
सोचो! क्यों है मेरे स्वर में अंगारे?
मैंने श्रृंगारिक स्वप्न किसलिए मारे?

किसलिए पूर्णिमा के विहार त्यागे हैं?
किसलिए राम फिर से वन को भागे हैं?
किसलिए चीखता हूं और चिल्लाता हूं?
किसलिए स्वयं को दोष दिए जाता हू?
किसलिए खून को पानी बोल रहा हूं?
किसलिए क्रांति की वाणी बोल रहा हूं?
कारण क्या है विषबाण साध रख्खा है?
उंगली पर एक पहाड़ साध रख्खा है।।

कारण क्या है रतजगा चुना है मैंने?
क्योंकि मां को अपशब्द सुना है मैंने।?
किसकी खातिर बलिदान गा रहा हूं मैं?
क्यों मिट्टी को वरदान गा रहा हूं मैं?
किसकी समाधि पर मान रहा हूं मैं?
भारत को क्यों भगवान गा रहा हूं मैं?

                                       राम भदावर

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