स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे - दिनकर

रामधारी सिंह दिनकर भारत के महान कविओं में से एक हैं. उन्हें लोग राष्ट्रकवि भी कहते हैं. दिनकर की कविता भारत के युवाओं को हमेशा प्रेरणा देती आई हैं. रामधारी सिंह दिनकर मनुष्य के सपनों को सबसे बड़ा बताया हैं. इस कविता में मनुष्य और चाँद के बिच संवाद हैं. चाँद मनुष्य के सपनों पर हस्ता तो वही मनुष्य अपने पुरषार्थ का परिचय देते हुए बताते हैं की मनुष्य ने जो चाहा हैं वो पाया हैं...पढ़िए ये रोमांचित कर देने वाली कविता  

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,
आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,
और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।

जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?
मैं चुका हूँ देख मनु को जनमते-मरते;
और लाखों बार तुझ-से पागलों को भी
चाँदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते।

आदमी का स्वप्न? है वह बुलबुला जल का;
आज उठता और कल फिर फूट जाता है;
किन्तु, फिर भी धन्य; ठहरा आदमी ही तो?
बुलबुलों से खेलता, कविता बनाता है।
 
मैं न बोला, किन्तु, मेरी रागिनी बोली,
देख फिर से, चाँद! मुझको जानता है तू?
स्वप्न मेरे बुलबुले हैं? है यही पानी?
आग को भी क्या नहीं पहचानता है तू?

मैं न वह जो स्वप्न पर केवल सही करते,
आग में उसको गला लोहा बनाती हूँ,
और उस पर नींव रखती हूँ नये घर की,
इस तरह दीवार फौलादी उठाती हूँ।
मनु नहीं, मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी
कल्पना की जीभ में भी धार होती है,
वाण ही होते विचारों के नहीं केवल,
स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है।

स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे,
"रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे,
रोकिये, जैसे बने इन स्वप्नवालों को,
स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे।"

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