सावधानी अपनाये, जीवन बचाएं : डीएम।

संतकबीरनगर : जिलाधिकारी महेन्द्र सिंह तंवर ने जनपद के समस्त नागरिकों, ग्राम प्रधानों से अपील की है कि नदियों, तालाबों अथवा अन्य जल स्रोतों के पास बच्चों को न जाने दें। जल स्रोतों में डूबने के कारण जनहानि होती है। इसलिए सतर्कता बरतने और जागरूकता फैलाने का हरसंभव प्रयास करें। उन्होंने बताया है कि जल स्रोतों में डूबने व फंसने की स्थिति में राहत पाने के लिए एम्बुलेंस-108, पुलिस सहायता-112 व राहत आपदा कंट्रोल रूम-1070 पर फोन कर सहायता प्राप्त कर सकते हैं।जिलाधिकारी ने डूबने से बचाव हेतु सुरक्षा के उपाय के विवरण में बताया है कि यदि तैरना न आता हो तो नदी, नहर, नाले अथवा तालाब आदि में कदापि न जाएं एवं अपने स्वजन को भी जाने से रोकें। बच्चों को पुलिया एवं ऊंचे टीलों से पानी में कूद कर स्नान करने से रोकें। अति आवश्यक हो तो ही पानी में उतरें एवं गहराई का ध्यान रखें। ओवरलोडेड नौकाओं में न बैठें। कोशिश करें कि किसी नदी, पोखर, तालाब या जल स्रोत में सामूहिक रूप से स्नान करने जाते समय अपने साथ 10-15 मीटर लंबी रस्सी या धोती/साड़ी अवश्य रखें। नदियों, नहरों, जलाशयों या अन्य जल स्रोतों के पास लिखी हुई चेतावनी की अवहेलना न करें। छोटे बच्चों को घाटों एवं जल स्रोतों के समीप न जाने दें। किसी के उकसावे में आकर पानी में छलांग न लगाएं। नदियों या अन्य जल स्रोतों के घाटों पर रीति-रिवाजों एवं संस्कारों का निर्वहन करते समय सावधानी बरतें। नदी या तालाब में तैरते/स्नान करते समय स्टंट न करें, सेल्फी आदि न लें ऐसा करना जानलेवा हो सकता है।जिलाधिकारी ने बताया है कि जल स्रोतों में डूबने के कारण मृत्यु होने पर 4 लाख रूपये देने का प्राविधान है, जिसके लिए (पोस्टमार्टम एवं पंचनामा अनिवार्य), शारीरिक दिव्यांग होने पर 74 हजार से 2 लाख 50 हजार, मकान की क्षति होने पर 4 हजार से 1 लाख 20 हजार, पशु की मृत्यु होने पर 4 हजार से 37 हजार 500 तथा फसल की क्षति होने पर 8 हजार 500 से 22 हजार 500 रूपये आपदा पीड़ित को देने का प्राविधान किया गया है।

 

रिपोर्टर : मोहम्मद नईम

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