जल्द-जल्द पैर बढ़ाओ,आओ...सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
BY CHANCHAL RASTOGI..
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का जन्म सन् 1897 ई० (सं०1953 वि०) में बंगाल के महिषादल राज्य के मेदिनीपुर जिले में हुआ था . निराला को बचपन से ही संगीत में गहरी रुचि थी अत: इन्हें बंगला और संस्कृत की शिक्षा दी गयी. हिन्दी का ज्ञान आपने अपनी धर्मपत्नी से ही प्राप्त किया था. आपको बता दे की निराला की साहित्यिक कृतियाँ में से परिमल, गीतिका, तुलसीदास, अनामिका, अणिमा, कुकुरमुत्ता, बेला, नये पत्ते, गीत कुंज आदि बेहद की मशहूर काव्य हैं जो लोगो को उनके साहित्य रचनाओ से बांधे रखती हैं.
चतुरसेन शास्त्री से 'जब निराला के बारे में पूछा गया तो वो बोलते हैं की, "निराला' काव्य के रूप में शक्ति के पुंज हैं, अडिग आत्म विश्वास से वे ओत-प्रोत हैं, विपरीत विचारधाराओं के तूफानी थपेड़ों के बीच चट्टान की भाँति स्थिर रहने की सामर्थ्य रखते हैं। उनकी अन्त:शक्ति असीम है. उसी के बल पर वे विरोधों के बीच बढ़ते जाते हैं और विरोध को पराजित करते हैं."
जल्द-जल्द पैर बढ़ाओ,आओ...
आज अमीरों की हवेली
किसानों की होगी पाठशाला,
धोबी, पासी, चमार, तेली
खोलेंगे अँधेरे का ताला,
एक पाठ पढ़ेंगे, टाट बिछाओ....
यहाँ जहाँ सेठ जी बैठे थे
बनिए की आँख दिखाते हुए,
उनके ऐंठाए ऐंठे थे
धोखे पर धोखा खाते हुए,
बैंक किसानों का खुलाओ...
सारी संपत्ति देश की हो,
सारी आपत्ति देश की बने,
जनता जातीय वेश की हो,
वाद से विवाद यह ठने,
काँटा काँटे से कढ़ाओ...
No Previous Comments found.