“होली खेलें रघुवीरा अवध में”
![रघुपति पद पंकज करि प्रणाम चले बालि सुवन ललकारे
दशानन द्वारे ।।
मग में मिल्यो अरि सुत उतपाती, बोला चले कहाँ निसिचरघाती
अस कहि चरण प्रहारे ।
गहि सोई चरण कीस महि मारयौ, रावण सुत सुरलोक सिधारयौ ।
चले भागि निसाचर दल तमाम, लंकापति त्राहि पुकारे
दशानन द्वारे ।।1।।](gallery-pic/2022/March/18-March-2022/b-Holi-khele-raghuveera-180322101615.jpg)
रघुपति पद पंकज करि प्रणाम चले बालि सुवन ललकारे
दशानन द्वारे ।।
मग में मिल्यो अरि सुत उतपाती, बोला चले कहाँ निसिचरघाती
अस कहि चरण प्रहारे ।
गहि सोई चरण कीस महि मारयौ, रावण सुत सुरलोक सिधारयौ ।
चले भागि निसाचर दल तमाम, लंकापति त्राहि पुकारे
दशानन द्वारे ।।1।।
![कह लंकेश कहाँ से तू आया, करत उपद्रव न मन सकुचाया
मूढ न चलत संभारे ।
कह अंगद सुनु निसिचर नायक, बालितनय मैं रघुवर पायक ।
पठयउ मोहि करूणासिन्धु राम, आयउ हित काज तुम्हारे
दशानन द्वारे ।।2।।](gallery-pic/2022/March/18-March-2022/b-2-180322101727.jpg)
कह लंकेश कहाँ से तू आया, करत उपद्रव न मन सकुचाया
मूढ न चलत संभारे ।
कह अंगद सुनु निसिचर नायक, बालितनय मैं रघुवर पायक ।
पठयउ मोहि करूणासिन्धु राम, आयउ हित काज तुम्हारे
दशानन द्वारे ।।2।।
![जग में भयउ तुम बहुत प्रतापी, कस हरि लाये विदेह सुता पापी
मतिभ्रम भयउ तुम्हारे ।
मम सिख मानि राम पहि जाई, जनक सुता प्रभु कह लौटाई ।
हरिचरण गहउ कीहि त्राहिमाम, तव बजेंगे कुशल नगारे
दशानन द्वारे ।।3।।](gallery-pic/2022/March/18-March-2022/b-3-180322101803.jpg)
जग में भयउ तुम बहुत प्रतापी, कस हरि लाये विदेह सुता पापी
मतिभ्रम भयउ तुम्हारे ।
मम सिख मानि राम पहि जाई, जनक सुता प्रभु कह लौटाई ।
हरिचरण गहउ कीहि त्राहिमाम, तव बजेंगे कुशल नगारे
दशानन द्वारे ।।3।।
![सुनि सकोप बोला दशकंधर, गुरू जिमि मोहि सिखवत खल बंदर
भूलि प्रभाव हमारे ।
अंगद हृदय सुमिरि भगवाना, पद रोपेउ खल दल खिसियाना ।
अब होंहि विधाता तुम्हहिं बाम, भयउ काल विवश मतवारे
दशानन द्वारे ।।4।।](gallery-pic/2022/March/18-March-2022/b-4-180322101839.jpg)
सुनि सकोप बोला दशकंधर, गुरू जिमि मोहि सिखवत खल बंदर
भूलि प्रभाव हमारे ।
अंगद हृदय सुमिरि भगवाना, पद रोपेउ खल दल खिसियाना ।
अब होंहि विधाता तुम्हहिं बाम, भयउ काल विवश मतवारे
दशानन द्वारे ।।4।।
No Previous Comments found.