33% आरक्षण का कानून, फिर भी संसद में महिलाएं कम ||
भारत जैसे देश में महिलाओं की अहम भूमिका है, यहां केवल नवरात्रों में महिलाओं की पूजा नहीं की जाती है , बल्कि चुनावों में भी महिलाओं का मुद्दा बनाया जाता है , अब आप चाहे इसे तंज समझे या व्यंग्य ,मगर सच्चाई यही है ..आज महिलाएं चुनावों का अहम हिस्सा हो गई हैं , चाहे उनको मुद्दा बनाया जाना हों , या फिर उनको मैदान में उतारा जाना हो ,,हर तरह से चुनावों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जा रही है .. लेकिन अफसोस इस बात का है कि जहां , सबसे ज्यादा भागीदारी महिलाओं की होनी चाहिए , वहीं सबसे कम हैं .. जी हां हम बात कर रहे हैं संसद की .. संसद में महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद भी अगले पांच साल तक महिलाओं की भागीदारी संसद में काफी कम रहने वाली है , ..उससे भी ज्यादा हैरानी की बात है कि इस बार पिछली बार से भी कम महिलाएं संसद में दिखेगी .जिसके पीछे का कारण क्या है ....और वो कौन सी महिलाएं है , जिनके आवाज संसद में आने वाले दिनों में बुलंद होंगी , ये सब जानिए , हमारी इस खास रिपोर्ट में -
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