मायावट में स्कूल भवन के बरामदे की छत गिरी

अलीराजपुर : चंद्रशेखर आजाद नगर तहसील के ग्राम मायावाट जमरा फलिया में प्राथमिक विद्यालय के जर्जर भवन के बरामदे की छत बुधवार को भर भरा कर गिर गई । हादसा रात के वक्त हुआ इसलिए वहां कोई नहीं था अगर दिन में छत गिरती तो बच्चे चपेट में आ सकते थे क्योंकि इसी बरामदे के पास में कक्षाएं संचालित की जा रही थी ,हालांकि अधिकारी कक्षाएं लगने की बात से इनकार कर रहे हैं लेकिन विद्यार्थी और उनके बालकों का कहना है की चार दिन पहले तक इसी भवन में कक्षाएं लग रही थी। प्राथमिक विद्यालय जमरा फलिया में 104 विद्यार्थी दर्ज है इसमें से लगभग 75 विद्यार्थी प्रतिदिन जर्जर भवन में ही पढ़ाई करते रहे थे ।हर साल भवन मरम्मत के लिए राशि निकाली जाती है लेकिन उसका उपयोग ही नहीं हो पता तीन दिन से हो रही बारिश के कारण छत से पानी टपक रहा है पूरा भवन कभी भी जमीन दोज हो सकता है,सरिया बाहर निकल आए हैं इसके बावजूद इसमें कक्षाएं लगाई जा रही थी हालांकि लगातार बारिश के कारण करीब 4 दिन से इसमें कक्षा नहीं लगाई गई ग्रामीणों का कहना है ग्राम सभा में प्रस्ताव बनाकर भवन की जर्जर हालत से अवगत कराया था, छत गिरने के बाद अधिकारी खाना पूर्ति करने पहुंच गए गुरुवार सुबह तहसीलदार जितेंद्र सिंह तोमर ने पहुंचकर पंचनामा बनाया उनके साथ खंड शिक्षा अधिकारी विनोद कोरी और BRC राजेंद्र बैरागी भी उपस्थित थे। "सरपंच पति आदेश सिंह वसुनिया मायावाट " का कहना है कि ग्राम सभा में जर्जर स्कूल भवन को लेकर प्रस्ताव बनाकर दो से तीन बार BEO कार्यालय सहित अन्य अधिकारियों को दिया था ,3 साल से आवेदन दे रहे हैं बारिश में पानी टपकता है बच्चे बैठ नहीं पाते हैं भवन कभी भी गिर सकता है लेकिन अधिकारी देखने तक नहीं आए सीएम हेल्पलाइन पर की गई शिकायत का असर भी नहीं हुआ।" खंड शिक्षा अधिकारी विनोद कोरी ने कहा बरामदे की छत का निर्माण सरपंच ने करीब 15 साल पहले कराया था हमने वहां पर कक्षाएं लगाना बंद कर दिया था अतिरिक्त कक्ष में स्कूल संचालित की जा रही थी कोई जनहानि नहीं हुई है।"विकासखंड में कितने शाला जर्जर भवन है इसकी कक्षा 1 से 8 तक की जानकारी BRC से ले लीजिए।"स्कूल भवन के अंदर स्पष्ट दिखाई दे रहा है की सरिया प्लास्टर छोड़ चुके हैं। जिससे छत की पकड़ कमजोर होकर जर्जर स्थिति है। देश का हजारों भविष्य इन्ही भवनो में पढ़ता है। अगर समय पर ध्यान दिया जाए तो इन भवनों की लाईफ को बढ़ाया जा सकता था। कई सवाल पैदा होते हैं

क्या इन भवनों को किसी टेक्निकल व्यक्ति के द्वारा सतत उपयोगिता,सेफ्टी, संरक्षा निरीक्षण किया जाता है।

भवन की छत अगर निर्माण में कमजोर बनाई है तो उसको तारपोलिन से ढक कर  सुरक्षित किया जा सकता है।
किसी भी भवन के ऊपर टीन सेट लगाकर बरसाती पानी से बचाया जा सकता है।
प्रथम तल मजबूत होने पर द्वितीय मंजिल का निर्माण कर जगह एवं रिपेयर का खर्चा बचाया जा सकता है। 
कम खर्चे में समय रहते अधिक उपयोगिता प्राप्त कर शासन का समय, पैसा बचाया जा सकता है।
विकासखंड के अंतर्गत ऐसे कई भवन है जिनकी सूद लेना बाकी है, वरना किसी घटना के बाद सिस्टम जगाता है और पंचनामा बनाकर भूल जाते हैं।
उक्त जर्जर शाला भवन को तहसीलदार के आदेश पर गुरुवार शाम (अमला)  जेसीबी द्वारा  ध्वस्त करने की सूचना है।

रिपोर्टर : विजय जैन 

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