कथावाचिका साध्वी पूनम ने नारद मुनि के तीन जन्मों की कथा का उल्लेख किया

बाराबंकी : कस्बा मसौली स्तिथ मां शक्ति काली पीठ मंदिर पर चल रही। श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथावाचिका साध्वी पूनम ने कहा आपका स्वभाव है प्रेम करना प्रेम करना सिखाया नहीं जाता। हर व्यक्ति के अंदर स्वाभाविक रूप से प्रेम विद्यमान है अंतर यही है कोई धन से प्रेम कर रहा है, कोई तन से प्रेम कर रहा है। कोई संसार से प्रेम कर रहा है। लेकिन वही प्रेम हम भगवान से करने लग जाएं तो वहीं प्रेम भक्ति है। साध्वी पूनम ने नारद मुनि के तीन जन्मों की कथा का उल्लेख किया। उन्होंने ने कहा पहले जन्म में देवर्षि नारद उपबर्हन नाम के गंधर्व थे जिनका विवाह भी हुआ था।एक बार ब्रम्हा जी की सभा में सभी देवता ओर गंधर्व भगवान का संकीर्तन करने आए,तो वह भी अपनी स्त्रियों सहित वहां गए।पर कीर्तन की बीच में ही वह हंसी - मज़ाक करने लगे। जिन्हें देख ब्रम्हा जी को गुस्सा आ गया। उन्होंने ने नारद मुनि को सूद्र होने का श्राप दे दिया। इस श्राप से दूसरे जन्म में वह सूद्र हुए,इस जन्म में पैदा होने के बाद ही इनके पिता की मृत्यु हो गई। इनकी माता दासी का कार्य कर इनका भरण-पोषण करने लगी।एक दिन उनके गांव में कुछ महात्मा चतुर्मास बिताने आए तो नारद जी ने उनकी खूब सेवा की जिससे उनके सारे पाप धुल गए। जाते समय महात्माओं ने प्रसन्न होकर उन्हें भगवान नारायण के नाम जप व उनके स्वरूप का ध्यान करने का उपदेश दिया। एक दिन सांप के काटने से उनकी मां भी चल बसी तो यह अनाथों के नाथ दीनानाथ का भजन करने के लिए वन में चले गए।एक दिन जब नारदजी पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान का ध्यान कर रहे थे,तब अचानक भगवान उनके हृदय में प्रकट हो गए।पर अपना दिव्य स्वरूप दिखाकर वह जल्द ही अन्तर्ध्यान हो गये। इसके बाद तो भगवान का दुबारा दर्शन करने के लिए नारदजी व्याकुल हो गए। इस मौके पर कथा आयोजक अमरीष वर्मा, गुड्डू यादव, राजू यादव, दिलीप कुमार, अशोक कुमार,बाबा शिव शरण दास, आदि के तमाम भक्त मौजूद रहे।

रिपोर्टर : नफीस अहमद

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